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soybean : Soy protein no 1 superfood

पेरिस ओलिंपिक में भी खिलाड़ियों के भोजन में शामिल था, शाकाहारियों के लिए श्रेष्ठ प्रोटीन आहार

soybean : Soy protein  superfood है। सोयाबीन सेहत का वरदान है। जो पेरिस ओलिंपिक में भी खिलाड़ियों के भोजन में शामिल था, शाकाहारियों के लिए श्रेष्ठ प्रोटीन आहार, सुपरफूड बने सोयाबीन के व्यंजन।

सोयाबीन, पौधे-आधारित प्रोटीन और वसा का समृद्ध स्रोत है और इसे एक सुपरफूड माना जाता है, विशेष रूप से शाकाहारियों के लिए। इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है।

सोया प्रोटीन खिलाड़ियों के आहार का भी हिस्सा रहा है, जैसे कि पेरिस ओलिंपिक में, जहां इसे जानवरों से मिलने वाले प्रोटीन का बेहतरीन विकल्प माना गया है।

सोयाबीन के प्रमुख लाभ: वेज प्रोटीन, हड्डियों की मजबूती, हृदय स्वास्थ्य, अंदरूनी अंगों की सेहत।

soybean : वेज प्रोटीन

जो लोग पशुओं के जरिए मिलने वाले प्रोटीन का सेवन नहीं करते हैं, उनके लिए और उन तमाम लोगों के लिए जो प्राकृतिक या नेचुरल प्रोटीन की तलाश में रहते हैं, उनके लिए यह सर्वश्रेष्ठ आहार है।

यही वजह है कि फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुए ओलिंपिक में भी खिलाड़ियों को सोयाबीन से बने व्यंजन उनकी प्रोटीन जरूरतों की पूर्ति के लिए दिए जा रहे थे।

soybean : हड्डियों को बनाती है स्ट्रांग

सोयाबीन का सेवन सेहतमंद रहने के लिए अब जरूरी जैसा हो गया है। इससे मिलने वाला कैल्शियम शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता है और हड्डियों से जुड़ी गठिया समेत तमाम बीमारियां से बचाव करता है।

सोयाबीन में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है। यह मांसपेशियों को बनाने में काफी मदद करता है।

यदि रोजाना सोयाबीन से बने व्यंजन को अपनी थाली का हिस्सा बनाएं तो इससे मसल्स मजबूत बनते हैं।

soybean : हृदय रोगियों के लिए लाभकारी

हृदय रोग की खास वजह होती है शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल।

इसे कम करने के लिए सोयाबीन से बने उत्पादों का सेवन सबसे फायदेमंद हैं। सोयाबीन में मौजूद आइसोफ्लेवोंस बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

soybean : लिवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद

सोयाबीन से बने उत्पाद इंसान के शरीर के अंदरूनी अंगों जैसे लिवर और किडनी आदि को भी सेहतमंद रखते हैं।

सोयाबीन को नियमित रूप से अपनी थाली का हिस्सा बनाने से शरीर के अंगों का अच्छे से पोषण होता है और वे मजबूत होकर अच्छे से काम कर पाते हैं।

soybean : सोया उत्पाद आसानी से उपलब्ध

देश के बाजारों में इन दिनों सोया चंक यानी सोया बड़ी, सोया चाप, सोया पनीर या तोफू, सोया पावडर, सोया दूध जैसे तमाम उत्पाद मौजूद हैं, इनका सेवन नियमित रूप से करने से व्यक्ति की दैनिक प्रोटीन जरूरतों को काफी हद तक आसानी से पूरा किया जा सकता है।

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soybean : 100 ग्राम में 36 ग्राम प्रोटीन

सोयाबीन कितना प्रोटीन प्रचूर होता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 100 ग्राम सोयाबीन के सेवन से 36 ग्राम प्रोटीन मिलता है। यह मांसपेशियों की मजबूती के लिए मांसाहार से ज्यादा प्रभावी है।

100 ग्राम चिकन में सिर्फ 22 ग्राम प्रोटीन होता है, लेकिन इतनी ही सोयाबीन में 36 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है और वह भी पूरी तरह से शाकाहारी।

चूंकि इसमें फाइबर भी पर्याप्त मात्रा में होता है, इसलिए सोयाबीन सुपाच्य होकर पाचन तंत्र के लिए भी अनुकूल होती है।

सोयाबीन में मौजूद कार्बोहाइड्रेट्स से शरीर की उर्जा जरूरतों की पूर्ति भी होती है और इसके सेवन के बाद व्यक्ति लंबे समय तक उर्जावान बना रह सकता है।

इसका वजन बढ़ाने में और घटाने में दोनों ही काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

soybean : खिलाड़ियों को ​दिए गए सोया प्रोडक्ट

दरअसल, खिलाड़ियों को लंबे समय तक उर्जावान बने रहने के लिए पर्याप्त प्रोटीन व विटामिन की जरूरत होती है, इसलिए उन्हें पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन की तुलना में सोया प्रोटीन मुहैया कराए जा रहे हैं।

अमेरिकी खाद्य व औ​षधि प्रशासन (एफडीए) के अनुसार यदि आप रोज 25 ग्राम सोया प्रोटीन का सेवन करते हैं तो इससे आपको 3 से 4 फीसदी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिल सकती है। यह लो फैट होता है, इसलिए हार्ट पेशेंट्स के लिए भी काफी कारगर है। उन्हें कोई खतरा नहीं है।

आसानी से उपलब्ध सोया उत्पाद

सोया चंक, सोया चाप, टोफू, सोया पाउडर, और सोया दूध जैसे उत्पाद बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। इनका नियमित सेवन आपकी दैनिक प्रोटीन की जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसके साथ ही यह वजन घटाने और बढ़ाने दोनों के लिए फायदेमंद होता है।

सोया प्रोटीन लो फैट होता है, जिससे यह हृदय रोगियों के लिए भी सुरक्षित है। अमेरिकी FDA के अनुसार, रोजाना 25 ग्राम सोया प्रोटीन का सेवन करने से 3-4% LDL कोलेस्ट्रॉल कम किया जा सकता है।

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https://www.thedailynewspost.com/pcod/

https://www.unicef.org/india/stories/do-pcod-and-pcos-mean-same-thing-or-are-they-different

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