धर्म-ज्‍योतिष

Shravan month : शिवलिंग पर शंख से जलाभिषेक नहीं होता, क्‍यों

दानव शंखचूड़ का रुद्र के हाथों संहार और उसकी हडि्डयों से शंख बनने की कहानी में छुपा है जवाब

Shravan month: श्रावण का महीना है, शिवलिंग पर शंख से जलाभिषेक नहीं होता, क्‍यों। दानव शंखचूड़ का रुद्र के हाथों संहार और उसकी हडि्डयों से शंख बनने की कहानी में छुपा है जवाब।

सनातन धर्म के धर्म-ग्रंथों के अनुसार, शंख को इस सृष्टि के पालनहार भगवान विष्‍णु ने गदा, चक्र और पद्म के साथ अपने हाथों में धारण कर रखा है और भगवान विष्‍णु का भगवान शिव के साथ सखा भाव है, तो उनकी इस प्रिय वस्‍तु शंख से शिवलिंग पर जल क्‍यों नहीं चढ़ता है। आइए, सनातन धर्म के कुछ धर्म-ग्रंथों को खंगालकर जवाब जानने की कोशिश करते हैं-

Shravan month : शंखचूड़ का जन्‍म

शंख तक पहुंचने से पहले हमें शंखचूड़ के बारे में जानना जरूरी है। गीता प्रेस की संक्षिप्‍त शिवपुराण में रुद्र संहिता के पंचम खंड में कहा गया है, ऋषि कश्‍यप और उनकी 13 पत्नियों, जो दक्ष की पुत्रियां थीं, में से एक दनु का पुत्र था-विप्रचित्ति।

विप्रचित्ति का पुत्र दम्‍भ हुआ, जो बड़ा ही विष्‍णु भक्‍त था। उसके यहां जब कोई संतान नहीं हुई तो उसने भगवान विष्‍णु को घोर तप से प्रसन्‍न किया और संतान रत्‍न की प्राप्ति का वरदान मांगा। भगवान विष्‍णु के वरदान के फलस्‍वरूप पुत्र का जन्‍म हुआ, जिसका नाम दम्‍भ ने शंखचूड़ रखा।

Shravan month:  शंखचूड़ को मिला श्रीकृष्‍णकवच

शंखचूड़ दानव या असुर स्‍वभाव का था, लेकिन बु‍दि्धमान था। उसने पुष्‍कर में घोर तपस्‍या शुरू की और ब्रह्माजी को प्रसन्‍न कर लिया। उसने ब्रह्माजी से वरदान मांग लिया कि वह देवताओं से अजेय रहे, उनसे कभी पराजित ना हो।

ब्रह्माजी ने प्रसन्‍न होकर शंखचूड़ को देवताओं से अजेय रहने का आशीर्वाद देते हुए उसे दिव्‍य श्रीकृष्‍णकवच प्रदान किया।

यह जानकारी जब दैत्‍यगुरु शुक्राचार्य तक पहुंची तो उन्‍होंने शंखचूड़ को दानवों और असुरों का अधिपति बना दिया। इस दम्‍भ में चूर होकर शंखचूड़ ने देवताओं पर आक्रमण शुरू कर दिया। उसने देवताओं को पराधीन कर लिया और उनके सारे अधिकार छीन लिए।

Shravan month: विजय नाम के त्रिशूल से शंखचूड़ का अंत

इससे देवताओं में अफरा-तफरी मच गई। शंखचूड़ का वध भगवान विष्‍णु और ब्रह्माजी कर नहीं सकते थे क्‍योंकि उसे बल उनके आशीर्वाद से ही मिला था। सारे देवतागण भगवान शिव के पास पहुंचे।

भगवान शिव ने उन्‍हें आश्‍वस्‍त किया कि उनका रुद्रावतार शंखचूड़ का संहार करेगा। अंतत: भीषण युद्ध में रुद्र ने विजय नाम के त्रिशूल से शंखचूड़ का अंत कर दिया और देवताओं को इस विपदा से मुक्ति दिलाई।

Shravan month: शंखचूड़ की हडि्डयों से बना शंख

  • संक्षिप्‍त शिवपुराण के पृष्‍ठ 401 में जिक्र है कि शंखचूड़ की हडि्डयों से ही शंख प्र‍जाति का जन्‍म हुआ। चूंकि भगवान शिव ने ही शंखचूड़ का वध किया था, इसलिए उसकी हडि्डयों से बने शंख का जल शिवलिंग पर नहीं चढ़ता है और न ही भगवान शिव की पूजा के दौरान इसे बजाया जाता है, जबकि भगवान श्रीविष्‍णु समेत अन्‍य समस्‍त देवताओं के लिए इसे प्रशस्‍त माना जाता है।
  • ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्‍मी के साथ-साथ यही शंख प्रकट हुआ था, इसलिए इसे मां लक्ष्‍मी का भाई भी कहा जाता है और भगवान विष्‍णु ने इसे अपने हाथ में धारण किया। अब सवाल यह है कि जब शंखचूड़ दानव था, तो वह भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी को प्रिय क्‍यों है?

Shravan month: शंख विष्‍णु और लक्ष्‍मी को हैं प्रिय

इसका जवाब जानने के लिए शंखचूड़ के पूर्व जन्‍म की कथा जानना जरूरी है। शिव पुराण के साथ-साथ श्रीमद्देवीभागवत में इस कथा का जिक्र है।

  • श्रीमद्देवीभागवत पुराण के नौवें स्‍कंध के पृष्‍ठ 713 में कहा गया है कि भगवान विष्‍णु के अवतार श्रीकृष्‍ण के गोलोक में शंखचूड़ सुदामा (ये वह सुदामा नहीं हैं, जिनकी मुलाकात महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्‍ण से सांदीपनि आश्रम में हुई थी और उनके प्रिय सखा बने थे)  नाम का प्रसिद्ध गोप और भगवान श्रीकृष्‍ण का प्रिय प्रधान पार्षद था।
  • वह श्रीराधा का भी प्रिय था, लेकिन एक बार सुदामा ने श्रीराधा की सखियों का तिरस्‍कार कर दिया था। इससे से खफा होकर श्रीराधा ने सुदामा को अगले जन्‍म में दानव होने का श्राप दे दिया था।
  • बाद में राधा को इस पर पछतावा हुआ, लेकिन श्राप को टाला नहीं जा सकता था।
  • तब श्रीकृष्‍ण ने उन्‍हें आश्‍वस्‍त किया कि सुदामा श्राप को भोगकर वापस गोलोक लौट आएगा।
  • रुद्र के संहार के बाद शंखचूड़ श्रापमुक्‍त होकर गोलोक लौट आया। श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार, भगवान विष्‍णु ने सुदामा को स्‍वयं का अंश बताया है।                                                                                                                                                         https://www.thedailynewspost.com/ganesh-chaturthi/
  • https://youtu.be/ylLPdhgMs24?si=jr1MlVss4pq3m2Li

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