Friendship Day : हर 1 उम्र की है गहरी दोस्ती। बस, रंग-ढंग अलग होते हैं, लेकिन दोस्ती की Spirit कभी कम नहीं होती! बढ़ती उम्र के साथ दोस्ती के इसी इंद्रधनुषी रंगों को विभिन्न मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर पढ़ने की कोशिश।
भाइयों, इंसान की उम्र कुछ भी हो, लेकिन उसका दोस्ती से नाता हर वक्त रहता है। हर उम्र में यह बेमिसाल होती है।
बस, उम्र के हर पड़ाव में इसके थोड़े रंग-ढंग बदलते रहते है, लेकिन इसके पीछे की ऊर्जा Spirit एक जैसी ही रहती है।
Friendship Day पर बढ़ती उम्र के साथ दोस्ती के इसी इंद्रधनुषी रंगों को आज हम विभिन्न मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर पढ़ने की कोशिश करते हैं और जानते हैं कि किस उम्र वर्ग में दोस्ती कैसी होती है और क्या गुल खिलाती है:-
Friendship Day : एक विश्लेषण
3 से 6 वर्ष : खेल-खेल में पनपती दोस्ती
क्या होता है :
3 से 6 वर्ष के उम्र में जाहिर है, इंसान में बचपना ही रहता है! और उसकी दोस्ती भी वैसी ही होती है। इस उम्र वर्ग में दोस्ती की बड़ी वजह कोई भी खेल खेलने के लिए साथी की जरूरत होती है।
घर के आसपास गली में रहने वाले या प्ले स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में पनपती है क्योंकि उनकी पहुंच ही इतनी होती है और उनके बीच अमीरी-गरीबी का कोई भूमिका (part) नहीं होती है।
क्या करते हैं :
खेल कोई-सा भी हो, दौड़ना, भागना, पीछा करना, पकड़म-पकड़ाई, खो-खो, कबड्डी आदि। किसी की कोई विशेष रुचि का खेल नहीं होता। इसी खेल-खेल में बच्चों में दोस्ती पनपती है।
खेल-खेल में वे सहयोग करते हैं, लड़ते-झगड़ते हैं, गुस्सा होते हैं और फिर एक हो जाते हैं। Social chops की नींव यहीं से पड़ती है।
कितनी टिकाऊ :
इस तरह की दोस्ती ज्यादातर समूह में होती है, लेकिन ज्यादा टिकाऊ नहीं होती है। स्कूल या रहने की जगह बदलने पर पुरानी दोस्ती खत्म, नई शुरू।
6 से 12 वर्ष : रुचि मिली तो दोस्ती पकी
क्या होता है :
इस उम्र वर्ग में बच्चा स्कूल जाने लगता है। यहां वह उसी से दोस्ती करेगा, जिससे उसकी रुचियां मैच (Match) होती हों। उसे कौन-सा खेल पसंद है, उसकी पंसद, शौक क्या हैं और उसे क्या पढ़ना-लिखना अच्छा लगता है, इसी से मैच करती खूबियों वाला बच्चा उसका दोस्त बनता है।
क्या करते हैं :
इस उम्र की दोस्ती में वह हमदर्दी, दूसरों के नजरिए को समझने की शुरूआत करता है।
कितनी टिकाऊ :
इस उम्र में दोस्ती थोड़ी टिकाऊ होती है और पारस्परिक यानी समूह में नहीं, ज्यादातर दो बच्चों के बीच होती है।
12 से 18 वर्ष : गहरी और मायने वाली दोस्ती
क्या होता है :
गहरी और मायने वाली दोस्ती इसी उम्र में होती है। किशोरावस्था की इस उम्र में टीनएजर (Teenager) अपने परिवार के बाहर खुद की पहचान ढूंढता है, उसके अपने विचार, अपनी जिज्ञासा, अपने सवाल जन्म ले रहे होते हैं।
क्या करते हैं :
वह ऐसा दोस्त ढूंढता है, जो उसकी रुचि, शौक, विचार, सवाल, जवाब, जिज्ञासा सब को समझे और उसका इमोशनल सपोर्ट करे। वह लड़े-झगड़े भी, लेकिन उसके आत्म-सम्मान का भी ख्याल रखे।
और उसके बारे में कोई तीसरा व्यक्ति गलत बात बोले तो उसे दो-चार बातें सुना दे। जरूरत पड़े तो उसके लिए मार-कुटाई भी कर दे।
कितनी टिकाऊ :
इस उम्र की दोस्ती में टिकाऊपन होता है और बेजोड़ होती है। यानी लोग कहने लगते है, वह जा रही ‘जय-वीरू’ की जोड़ी!
18 से 30 वर्ष : चुनौतियों के बीच दोस्ती
क्या होता है :
जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ इसी उम्र में आता है। उच्च शिक्षा, कॅरियर, नौकरी या बिजनेस, रोमांटिक रिलेशनशिप, परिवार बनाने जैसे मसलों पर महत्वपूर्ण फैसले लेने होते हैं।
क्या करते हैं :
जीवन की इन चुनौतियों का सामना करने और जिम्मेदारियों को समझने के लिए समान अनुभव वाले दोस्त की तलाश होती है। मानसिक मजबूती और तनाव घटाने में इस उम्र की दोस्ती सपोर्ट नेटवर्क की तरह काम करती है। समान कॅरियर, समान बैकग्राउंड वालों के बीच दोस्ती की संभावना अधिक होती है।
कितनी टिकाऊ :
टिकाऊ बनाए रखने के लिए कोशिश करनी पड़ती है क्योंकि पारिवारिक, कॅरियर की जिम्मेदारियों की वजह से कभी-कभार ही मिलना हो पाता है। चुनौतियों के बीच दोस्ती निभाने के लिए वक्त निकालने की चुनौती होती है।
30 से 50 वर्ष : दु:ख दर्द बांटने की दोस्ती
क्या होता है :
इंसान की जिंदगी में कॅरियर, पारिवारिक जिम्मेदारियां, बच्चों (यदि हैं) की पढ़ाई, सामाजिक संपर्कों के बीच संतुलन बैठाने की जद्दोजहद में बेतरतीब व्यस्तताएं होती हैं।
क्या करते हैं :
इन्हीं बेतरतीब व्यस्तताओं के बीच इस उम्र वर्ग की दोस्ती सुकून देती है। इसमें गहराई होती है। मिलने का समय कम मिलता है, लेकिन जितना भी मिले, उसी में सारा दु:ख-दर्द बांट लेते हैं।
कितनी टिकाऊ :
टिकाऊ और गहरी होती है, निरंतरता रहती है। मानसिक और शारिरिक सेहत के लिए अच्छी होती है।
50 वर्ष से ऊपर : अकेलेपन में सुकून है दोस्ती
क्या होता है :
जिंदगी नाम की फिल्म में इंटरवल के बाद की उम्र के इस पड़ाव में व्यक्ति अपने काम-धंधों से रिटायरमेंट से गुजर रहा होता है।
बच्चे बाहर चले जाते हैं, Partner (पति या पत्नी) में से कोई नहीं होता। वक्त की भरमार होती है, अकेलेपन की चुनौती खड़ी हो जाती है। सेहत भी साथ नहीं देती।
क्या करते हैं :
ऐसे में दोस्ती उसका आसरा बनती है और वह भी गहराई से। दोस्ती साथ निभाती है। इमोशनल सपोर्ट करती है और जीवन के नए उद्देश्य की ओर ले जाती है।
कितनी टिकाऊ :
टिकाऊ होती है और संतुष्टि देने वाली होती है।
यह भी पढ़ें :
https://www.thedailynewspost.com/the-art-of-happiness-dalai-lama/