Shivaraj को क्यों कहना पड़ा, छेड़ोगे तो छोड़ूंगा नहीं। कांग्रेस की सरकारों के समय किसानों पर गोलियां चलने की घटनाओं का जिक्र कर विपक्ष को घेरा। राज्यसभा में शिवराज का विपक्ष पर तीखा हमला।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने सोमवार को जब राज्यसभा में कृषि सेक्टर के लिए अपनी सरकार का विजन रख रहे थे तो इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इसके जवाब में शिवराज ने रौद्र रूप दिखाते हुए यहां तक कह दिया कि अगर छेड़ोगे तो छोड़ूंगा नहीं।
दरअसल, कांग्रेस के रणदीप सूरजेवाला ने कृषि मंत्रालय पर चर्चा का मामला उठाया था। सोमवार को शिवराज Shivaraj ने कांग्रेस की पूर्व सरकारों द्वारा किसानों की अनदेखी करने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने किसान को सीधी मदद देने की बात तो की, लेकिन कभी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजना नहीं बनाई।
उन्होंने कहा कि यह तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं, जिन्होंने इसके बारे में सोचा। उन्होंने कहा कि विपक्ष को भले ही 6000 की राशि छोटी लगे, लेकिन सीमांत छोटे किसानों के लिए यह बहुत मायने रखती है।
जब पैसा नहीं होता था तो किसान को ऊंची ब्याज दर पर उधार लेना पड़ता था। विपक्ष इस बात को नहीं समझेगा।
Shivaraj ने गोलीकांड की एक-एक घटनाएं गिनाईं
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने शिवराज Shivaraj को यह कहकर घेरने की कोशिश की कि जब शिवराज Shivaraj राज्य के सीएम थे, तब मंदसौर में किसानों पर गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें छह किसान मारे गए थे।
इसके जवाब में शिवराज Shivaraj ने कहा, ‘मुझे छेड़ोगे तो छोड़ूंगा नहीं।‘ उन्होंने कांग्रेस की सरकारों के समय किसानों पर गोलियां चलने की घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए तीखा हमला बोलते हुए कहा कि खुद दिग्विजय के हाथ किसानों की मौत से सने हैं। 24-24 किसान मारे गए थे।
शिवराज Shivaraj ने कहा कि 1986 में बिहार में कांग्रेस की सरकार के समय 23 किसान गोलीबारी में मारे गए थे। 1988 में दिल्ली में श्रीमती इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि पर किसानों पर गोली चलाई गई।
उसमें दो किसान मारे गए। 1988 में मेरठ में फायरिंग में 5 किसान मारे गए। 23 अगस्त, 1995 को हरियाणा में छह किसान मारे गए। 12 जनवरी, 1998 में मुलताई में किसानों पर गोलियां चलीं, तब भी कांग्रेस की सरकार थी, 24 किसान मारे गए। जब शिवराज यह सब कह रहे थे, तभी विरोध में विपक्ष वॉकआउट कर गया।
Shivaraj ने कहा- नेहरू के भाषणों में कभी किसान नहीं
शिवराज Shivaraj ने कहा, जब मैं कृषि मंत्री बना तो मुझे लगा कि अभी तक भारत में जितने प्रधानमंत्री हुए हैं, उनके सबके भाषणों को पढ़ना चाहिए।15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से किस-किस प्रधानमंत्री ने क्या कहा।
शिवराज ने कहा-मैंने वह भाषण पढ़े। वे हैरत में रह गए कि किसान कांग्रेस की प्राथमिकता में कभी रहा ही नहीं।
शिवराज Shivaraj ने कहा कि वे स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री रहते लाल किले के प्राचीर से अपने 15 भाषण में किसान का कभी एक बार भी नाम नहीं लिया।
स्वर्गीय इंदिरा गांधी का भी जिक्र करते हुए शिवराज ने कहा कि 1966 से 80 तक उन्होंने एक-दो बार किसान का नाम तो लिया, लेकिन कोई पॉलिसी की बात नहीं की। यही हाल स्वर्गीय राजीव गांधी का भी था।
किसान उनके व कांग्रेस के लिए कभी प्राथमिकता में रहा ही नहीं।
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मोदी के हर भाषण में किसान का नाम आया
शिवराज ने कहा कि दूसरी ओर, जब हमारे नेता नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने और मैंने उनके भाषण पढ़े तो 2014 में छह बार, 15 में 23 बार, 2016 में 31 बार, 2017 में 20 बार, 18 में 17 बार, 19 में 17 बार, 20 में 17 बार, 21 में 15 बार किसान का जिक्र हुआ है।
उन्होंने कहा कि जो बात दिल में होती है, जुबान पर वही आती है। कांग्रेस के दिल में किसान नहीं था। नरेंद्र मोदी जी के दिल में किसान था इसलिए किसान बार-बार जुबान पर आया।
सरकार की गिनाई प्राथमिकताएं
- शिवराज ने किसानों के लिए अपनी प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को आधार की एक डिजीटल पहचान दी जाएगी। इसे उसके भूमि के रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा। इससे किसान कोई भी फसल बोएगा, उसके रिकॉर्ड में हेराफेरी नहीं होगी।
- कृषि और कृषि से संबंधित सभी विभाग जैसे केमिकल फर्टिलाइजर, जल संसाधन, मत्स्य पालन आदि मिलकर योजना बनाएंगे और एक दिशा में चलेंगे ताकि खेती में लाभ को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जा सके।
- कृषि का विविधीकरण करने की दिशा में काम किया जाएगा। अनाज ही नहीं, फल,फूल, सब्जी की खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार ने प्राकृतिक खेती मिशन बनाया है। कई राज्यों में किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और धीरे-धीरे 1 एक करोड़ किसानों को जागरूक किया जाएगा।
- पिछले 10 वर्षों में भारत का कृषि निर्यात बढ़ा है। चावल, मसालों, मूंगफली, सबका निर्यात बढ़ा है। इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। सरकार इनका दोहन करेगी।
- अगले पांच साल में 18 हजार करोड़ रुपए की लागत से 100 एक्सपोर्ट ओरिएंटेड बागवानी कलस्टर बनाए जाएंगे।
- किसानों के लिए मंडी तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए 1500 अतिरिक्त मंडियों का एकीकरण किया जाएगा।
- 6800 करोड रुपए के निवेश से तिलहन मिशन की शुरूआत की जा रही है। कीटनाशक अधिनियम में भी संशोधन किया जा रहा है।
- 500 गांवों को जलवायु अनुकूल गांव के रूप में विकसित किया जाएगा।