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Bangladesh : मोहम्मद यूनुस: गरीबों के बैंकर को बांग्लादेश की कमान

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनेंगे देश के प्रमुख, शेख हसीना ने यूनुस को बताया था- गरीबों का खून चूसने वाला, गबन के आरोप में जमानत पर छूटे थे यूनुस

Bangladesh : मोहम्मद यूनुस: गरीबों के बैंकर को बांग्लादेश Bangladesh की कमान। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनेंगे देश के प्रमुख, शेख हसीना ने यूनुस को बताया था- गरीबों का खून चूसने वाला, गबन के आरोप में जमानत पर छूटे थे यूनुस।

बांग्लादेश Bangladesh में प्रधानमंत्री शेख हसीना के छह अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद प्रसिद्ध अर्थशास्त्री 84 वर्षीय मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार की बागडोर संभालने जा रहे हैं। यूनुस 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।

उन्होंने बांग्लादेश ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी, जिससे देश के सबसे गरीब लोगों को उन्होंने अपनी जेब से पैसे नगण्य ब्याज पर कर्ज देकर उनकी दशा सुधारने का बीड़ा उठाया था।

उनका माइक्रो फाइनेंस का यह प्रयोग पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है। यह पहला मौका है, जब किसी नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री को किसी देश की बागडोर सौंपी जा रही है।

Bangladesh : क्या किया था मोहम्मद यूनुस ने

1971 में बांग्लादेश की पाकिस्तान से आजादी के बाद 1974 में देश को भयावह अकाल का सामना करना पड़ा था। हजारों लोग भूख से मर रहे थे, उनके पास खान पीने को नहीं था। ये हालात देख यूनुस को बुरा लगा।

उन्होंने देश के गरीबतम लोगों की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया। उनका मानना था कि मैं अर्थशास्त्र के जिन शानदार सिद्धांतों को पढ़ाता हूं, वो देश के भूखे लोगों के लिए कोई काम के नहीं हैं। ऐसे में मैंने एक इंसान के रूप में आम लोगों व गरीबों के लिए कुछ करने का सोचा। इसी विचार ने बांग्लादेश ग्रामीण बैंक की बुनियाद रखी।

सबसे गरीब के बैंकर बने

आज मोहम्मद यूनुस की छवि गरीबों के बैंकर के रूप में पूरी दुनिया में ख्यात है। पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर, यूनुस और उनकी ग्रामीण बैंक को 2006 में गरीब लोगों, खासकर बांग्लादेश Bangladesh की महिलाओं को लघु कर्ज देने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें गरीबों के सामाजिक और आर्थिक विकास का मसीहा कहा जाता है।

कब बनी बांग्लादेश ग्रामीण बैंक

आरंभिक कुछ सालों तक यूनुस ने अनौपचारिक रूप से और अपनी जेब से छोटे छोटे कर्ज दिए। फिर उन्होंने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की।

इस बैंक ने ऐसे लोगों और उद्यमियों को कर्ज दिए और व्यवसाय से जोड़ा, जिन्हें कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिल सकती थी या वे इस मदद या कर्ज के पात्र नहीं थे।

इस तरह से उन्होंने बांग्लादेश के गरीबों को घोर गरीबी से बाहर निकाला। उन्होंने पूरी दुनिया में सूक्ष्म वित्त पोषण या माइक्रो फाइनेंस को एक नई दिशा दी।

Mohamad Younus, Bangladesh

बांस बना रही महिला को देख आया था विचार

  1. मोहम्मद यूनुस दिसंबर 1976 में चटगांव जिले के जोबरा गांव का दौरा करने गए थे। तब उन्हें गरीबों के घरों में बांस के फर्नीचर बनाने वाली महिलाओं को बांस खरीदने के लिए साहूकारों से मोटे ब्याज पर कर्ज लेने की जानकारी मिली।
  2. वे यह ब्याज और कर्ज अपने मामूली मुनाफे में से चुकाती हैं। उन्हें बैंकें भी कर्ज नहीं देती थी, क्योंकि डूबने का भय रहता था।
  3. एक महिला को देख उन्होंने कहा था कि जब यह बांस के इतने सुंदर सामान बना सकती है, तो यह गरीब कैसे हो सकती है? ऐसे हालातों के बीच यूनुस ने अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप में अमल करना शुरू किया।
  4. उन्होंने गांव की 42 महिलाओं को अपने निजी पैसों में से 27 डॉलर आज के डॉलर मूल्य से देखें तो करीब 3200 बांग्लादेशी मुद्रा टका उधार दिए।
  5. इस कर्ज पर उन्होंने बेहद मामूली 0.50 डॉलर करीब 60 टका लाभ कमाया। इसी छोटी से शुरुआत ने कालांतर में बांग्लादेश ग्रामीण बैंक या ग्राम बैंक की नींव रखी।
  6. आज यह देश के लाखों गरीबों को मामूली ब्याज पर कर्ज देकर उनका जीवन संवार रही है। सर्वाधिक कर्ज महिलाओं को ही दिए गए, क्योंकि उन्हें कड़े वित्तीय अनुशासन में रहने की आदत होती है और वे उधार या कर्ज चुकाने में पुरुषों की तरह चूक नहीं करतीं।

100 से ज्यादा देशों ने अपनाया यूनुस का मॉडल

मोहम्मद यूनुस के ग्रामीण बैंक के मॉडल को आज विश्व के 100 से ज्यादा देशों ने अपनाया है। लघु कर्ज, सूक्ष्म फाइनेंस, अल्पावधि कर्ज, ब्याज मुक्त कृषि कर्ज समेत तमाम तरह के कर्ज दिए जा रहे हैं। जिनमें न गारंटर की जरूरत है और न महंगी या पठानी ब्याज चुकाने की। यहां तक की अमेरिका जैसे विकसित देशों ने भी माइक्रो फाइनेंस के ऐसे मॉडलों को अपनाया।

शेख हसीना ने शुरू की थी जांच, आई जेल जाने की नौबत

Mohamad Younus, Bangladesh, Sheikh Hasina

शेख हसीना सरकार ने 2008 में मोहम्मद यूनुस के खिलाफ आर्थिक गबन का आरोप लगाकर जांच शुरू कर दी थी। माना जा रहा है कि तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने यूनुस द्वारा 2007 में राजनीतिक दल बनाने के एलान बाद उठाया था।

जांच में यूनुस पर ग्रामीण बैंक के प्रमुख रहते हुए गरीब ग्रामीण महिलाओं से कर्ज वसूलने में बल प्रयोग का आरोप लगाया गया था।

हालांकि, यूनुस अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते रहे। हसीना सरकार ने 2011 में बैंक की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की और यूनुस को सरकारी सेवानिवृत्ति नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया। उन पर 2013 में सरकार की अनुमति के बिना धन प्राप्त करने के आरोप में मुकदमा चलाया गया।

इस राशि में उनका नोबेल पुरस्कार और एक पुस्तक से मिलने वाली रॉयल्टी भी शामिल थी। इसके बाद यूनुस के खिलाफ उनकी अन्य कंपनियों खासकर देश की सबसे बड़ी ग्रामीण टेलीकॉम कंपनी और नार्वे की टेलीनॉर की सहयोगी कंपनी में घोटालों को लेकर केस दर्ज किया गया।

हालांकि, यूनुस ने इस आरोपों से भी इनकार किया। लेकिन बांग्लादेश में एक विशेष अदालत ने यूनुस और 13 अन्य को 20 लाख डॉलर के गबन के मामले में दोषी ठहराया था। अभी वे इस मामले में जमानत पर हैं।

चटगांव में जन्मे, अमेरिका में पढ़े

मोहम्‍मद यूनुस 28 जून 1940 को अविभाजित भारत के पूर्वी बंगाल के चटगांव में पैदा हुए थे। यह अब बांग्‍लादेश Bangladesh का हिस्सा है। यूनुस की आरंभिक शिक्षा चटगांव के स्‍कूल में हुई। उच्च शिक्षा के लिए वे ढाका यूनिवर्सिटी पहुंचे। 1957 में उन्होंने इकानॉमिक्‍स में बीए किया और 1960 में एमए में प्रवेश लिया।

1965 में उन्हें अमेरिका में अध्ययन के लिए फुलब्राइट स्‍कॉलरशिप मिली। यूनुस ने 1965 से 1972 तक वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। 1969 में उन्‍होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की। इसके बाद वे अमेरिका में ही प्रोफेसर बने।

वे 1972 में ​चटगांव यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग के एचओडी बने। इसी दौरान उन्होंने देश में पड़े 1974 के अकाल में लोगों की दुरावस्था को देखा और 1983 में बांग्‍लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना की।

कई किताबें लिखीं

मोहम्मद यूनुस ने ‘बिल्डिंग सोशल बिजनेस: द न्यू काइंड ऑफ कैपिटलिज्म दैट सर्व्स ह्यूमैनिटी’, मोस्ट प्रेसिंग नीड्स’, ‘ए वर्ल्ड ऑफ थ्री जीरोज: द न्यू इकनॉमिक्स ऑफ जीरो पॉवर्टी, जीरो अनएम्प्लॉयमेंट, एंड जीरो नेट कार्बन इमिशन’ शामिल हैं।

मिले ये पुरस्‍कार

मोहम्‍मद यूनुस को विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार नोबेल शांति के अलावा अन्य पुरस्कार भी मिले हैं। इनमें बांग्लादेश का प्रतिष्ठित स्वतंत्रता दिवस पुरस्कार (1987), वर्ल्ड फूड प्राइज (संयुक्त राज्य, 1994), और यू.एस. प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम (2009) आदि शामिल है। वे किंग हुसैन ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड (जॉर्डन, 2000) पाने वाले पहले व्‍यक्‍ति हैं।

Bangladesh में जल्द कराएंगे चुनाव

मोहम्मद यूनुस ने देश की बागडोर संभालने के पहले अपने एक लेख में कहा है कि कुछ ही महीनों में पारदर्शी तरीके से निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे। वे अभी यूरोप में थे और बांग्लादेश लौट कर देश की बागडोर संभालने जा रहे हैं।

यूनुस ने देश के युवाओं को बधाई देते हुए कहा ​है कि इस नई जीत का बेहतरीन उपयोग करें। हसीना सरकार के तख्तापलट और नई सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा रहे बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल जमां ने उम्मीद जताई है कि यूनुस देश को लोकतंत्र की राह पर वापस ले आएंगे, उन्हें सेना पूरा समर्थन देगी।

अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद में 15 सदस्य हो सकते हैं। सेना प्रमुख ने तीन से चार दिन में देश की स्थिति सामान्य होने की उम्मीद जताई है।

Read Also :

https://www.thedailynewspost.com/bangladesh-sheikh-hasina/

https://youtu.be/a_EAN-AWcDk?si=eF7JueSXQxt7dzb9

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