- PCOD के कारण PCOD के लक्षण PCOD से जुड़े संभावित जोखिम PCOD का उपचार
PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज) हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट (Cyst) बनने से होता है। इससे अनियमित माहवारी, शारीरिक वजन बढ़ना, और प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
पीसीओडी पीड़ित महिलाओं में एंड्रोजन (Androgen-पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर में हार्मोन असंतुलन पैदा होता है। इससे डायबिटीज, हृदय रोग, और कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
पीसीओडी को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और डॉक्टर की सलाह से हार्मोनल दवाओं का सेवन जरूरी है।
आज की आधुनिक जीवनशैली, अनियमित खानपान और शारीरिक श्रम की कमी के चलते महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
इस स्थिति में महिलाओं के अंडाशय में छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं, जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती हैं।
इसका असर न केवल महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है, बल्कि यह कई अन्य गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।
PCOD के कारण
पीसीओडी का मुख्य कारण महिलाओं के हार्मोन में असंतुलन है, जो अक्सर अनियमित माहवारी से शुरू होता है। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं:
आधुनिक जीवनशैली:
कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर घंटों बैठने वाली जीवनशैली, शारीरिक श्रम की कमी और आरामदायक दिनचर्या पीसीओडी के खतरे को बढ़ाती है।
खानपान की आदतें:
अत्यधिक जंक फूड और शुगर का सेवन, फाइबर और पोषण से भरपूर भोजन की कमी पीसीओडी को गंभीर बनाता है।
शारीरिक गतिविधि की कमी:
नियमित व्यायाम या योग न करने से शरीर में चर्बी बढ़ जाती है, जिससे हार्मोनल असंतुलन और पीसीओडी का खतरा बढ़ता है।
PCOD के लक्षण
पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं को अक्सर निम्नलिखित लक्षणों का सामना करना पड़ता है:
अनियमित माहवारी:
कई महिलाओं को महीनों तक मासिक धर्म नहीं आता, जो गर्भधारण की संभावना को कम कर देता है।
हार्मोनल बदलाव:
एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है और एस्ट्रोजन (Estrogen) व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी हो जाती है, जिससे वजन बढ़ना, बाल झड़ना, और त्वचा संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
प्रजनन संबंधी समस्याएं:
पीसीओडी के कारण महिलाओं को गर्भधारण में कठिनाई होती है, जिससे बांझपन का खतरा भी बढ़ जाता है।
वजन बढ़ना और डायबिटीज:
PCOD से पीड़ित महिलाओं में मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है।
PCOD से जुड़े संभावित जोखिम
PCOD सिर्फ प्रजनन क्षमता को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसके अन्य गंभीर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं:
हृदय रोग: हार्मोनल असंतुलन से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर: PCOD से पीड़ित महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य: PCOD से ग्रस्त महिलाएं अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं का सामना कर सकती हैं।
PCOD का उपचार
हालांकि PCOD एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही जीवनशैली और चिकित्सा के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है:
जीवनशैली में बदलाव:
नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और वजन घटाने से PCOD को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। योग और मेडिटेशन भी इसमें मददगार होते हैं।
संतुलित आहार: फाइबर युक्त और पोषण से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। शुगर और जंक फूड से जितना संभव हो, दूर रहना चाहिए।
चिकित्सकीय उपचार:
डॉक्टर की सलाह से हार्मोनल दवाओं का सेवन और गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग किया जा सकता है। इससे माहवारी को नियमित करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
भारत में 20% महिलाएं और दुनियाभर में 10% महिलाएं पीसीओडी से जूझ रही हैं। यह सिर्फ प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसके दीर्घकालिक प्रभाव डायबिटीज, हृदय रोग, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
समय रहते इस समस्या का निदान और उपचार करना जरूरी है। पीसीओडी का सही समय पर इलाज और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर महिलाएं इस समस्या से राहत पा सकती हैं।
पीसीओडी को समझें, इसे गंभीरता से लें, और एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली अपनाएं ताकि आप अपनी सेहत को सुरक्षित रख सकें।
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