Tupperware, कभी हर घर का हिस्सा, अब दिवालिया हो रही है। जानें कैसे प्रतिस्पर्धा और गिरती बिक्री ने कंपनी को संकट में डाला।
किसी समय हर घर के किचन की शान रही अमेरिकी कंपनी टपरवेयर (Tupperware Corp) अब दिवालिया होने की कगार पर है। यह खबर न सिर्फ व्यवसायिक जगत को बल्कि घर-घर की गृहिणियों को भी चौंका गई है।
एक समय था जब टपरवेयर को किचन के प्रोडक्ट्स का बादशाह माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह कंपनी कड़ी प्रतिस्पर्धा और बिक्री में गिरावट का सामना कर रही है।
Tupperware का इतिहास
टपरवेयर की शुरुआत 1946 में अमेरिकी केमिस्ट अर्ल टुपर (Earl Tupper) ने की थी। उन्होंने वायुरोधी प्लास्टिक कंटेनर बनाने का श्रेय प्राप्त किया, जो जल्द ही घर-घर में लोकप्रिय हो गए।
1950 के बाद इस कंपनी की प्रसिद्धि तेजी से बढ़ी, खासकर तब जब दुनिया भर में खाने-पीने के सामान के सुरक्षित भंडारण के लिए एयरटाइट कंटेनरों की मांग बढ़ी।
Tupperware की समय के साथ सफलता:
- 1950 के दशक से 2000 के दशक तक टपरवेयर के उत्पादों की मांग में तेजी आई।
- टपरवेयर के कंटेनर, टिफिन बॉक्स, और पानी की बोतलें दुनिया भर में उच्च गुणवत्ता के कारण पसंद की जाने लगीं।
- भारत में भी इस कंपनी के प्रोडक्ट्स काफी लोकप्रिय रहे हैं।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा और गिरती बिक्री
हालांकि, पिछले कुछ सालों में, टपरवेयर को अन्य कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
कंपनी की बिक्री में लगातार गिरावट आई, जिससे इसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।
इसके चलते कंपनी ने अपनी एकमात्र अमेरिकी फैक्ट्री को बंद कर दिया और 150 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी कर दी।
Tupperware कर्ज में डूबी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, टपरवेयर ने अपनी संपत्तियों का मूल्य 50 करोड़ से 1 अरब डॉलर के बीच बताया है, जबकि उसकी कुल देनदारियां 1 अरब डॉलर से 10 अरब डॉलर तक हैं।
कंपनी पर 5800 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जो उसकी संपत्तियों की तुलना में काफी अधिक है।
कर्ज शर्तों का उल्लंघन
कंपनी पर लगा कर्ज इतना बढ़ गया कि वह इसका सही उपयोग नहीं कर पाई, जिससे वित्तीय कंपनियों ने इसे कर्ज शर्तों का उल्लंघन मान लिया।
परिणामस्वरूप, टपरवेयर के पास अमेरिकी कोर्ट से दिवालिया घोषित होकर कानूनी संरक्षण पाने का एकमात्र विकल्प बचा।
घरेलू महिलाओं की पसंद
टपरवेयर के उत्पाद, जैसे कंटेनर, टिफिन बॉक्स, केस रोल, और पानी की बोतलें, लंबे समय तक भोजन को ताजा रखने के लिए मशहूर रहे हैं। भारत सहित दुनियाभर में ये उत्पाद गृहिणियों की पहली पसंद रहे हैं।
Tupperware के शेयरों में गिरावट
टपरवेयर के दिवालिया होने की खबर ने उसके शेयरों पर भी गहरा असर डाला है।
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में इसके शेयरों में 57% तक की गिरावट आई, और सोमवार को इसके शेयर मात्र 43 सेंट पर आ गए।
Tupperware की प्रतिष्ठा
टपरवेयर एक ऐसी कंपनी रही है जिसने दुनिया को प्लास्टिक कंटेनरों के माध्यम से भोजन सुरक्षित रखने का तरीका दिया।
लेकिन बदलते बाजार के साथ तालमेल न बिठा पाने और भारी कर्ज में डूबने के कारण यह कंपनी अब दिवालिया होने की राह पर है।
निष्कर्ष
टपरवेयर, जो कभी घर-घर में लोकप्रिय थी, अब दिवालिया होने की कगार पर है। 1946 में अर्ल टुपर द्वारा स्थापित इस कंपनी ने वायुरोधी प्लास्टिक कंटेनरों के माध्यम से दुनिया को खाद्य भंडारण का बेहतर तरीका दिया।
लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बिक्री में गिरावट ने इसे वित्तीय संकट में डाल दिया। कर्ज की अधिकता और कर्ज शर्तों के उल्लंघन ने कंपनी को कानूनी संरक्षण की ओर धकेल दिया।
भविष्य में, यदि टपरवेयर अपने उत्पादों में नवाचार नहीं लाती, तो यह प्रतिस्पर्धी बाजार में और पीछे रह सकती है, जहां टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की मांग बढ़ रही है।
https://www.thedailynewspost.com/mg-windsor-ev/
https://www.bostonglobe.com/2024/09/18/business/tupperware-files-bankruptcy/