Brain Stroke: पूरी दुनिया में हार्ट अटैक की तरह ब्रेन स्ट्रोक यानी मष्तिष्काघात (Brain Stroke) के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हृदय रोग के बाद सबसे ज्यादा मौतें ब्रेन स्ट्रोक के कारण होती हैं।
भारत में भी इसके मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन घबराने की बात नहीं है। चिकित्सा वैज्ञानिक इसके नए नए इलाज खोजने में जुटे हैं। दवाओं के साथ ही इसे सर्जरी के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक के इलाज की सबसे कारगर सर्जरी या प्रोसिजर के रूप में एंडोवास्कुलर मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी (endovascular thrombectomy) मानी जा रही है।
देश के महानगर व गुजरात के कई सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों के बाद यह सर्जरी अब भोपाल एम्स में भी शुरू हो गई है। इसके अच्छे नतीजे आए हैं।
Brain Stroke: तीन दशक में बढ़े मरीज
बिगड़ी जीवन शैली, तनाव, डायबिटीज, शारीरिक व्यायाम के अभाव के कारण भारत में पिछले 30 सालों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीज 51 फीसदी बढ़े हैं।
लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल (Lancet Neurology journal) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1990 में ब्रेन स्ट्रोक के 6.50 लाख मरीज मिले थे, जो 2021 में बढ़कर 12.50 लाख हो गए हैं। इस तरह इनमें 51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये पूरी दुनिया में स्ट्रोक के केस के 10 फीसदी है।
Brain Stroke मौत का दूसरा बड़ा कारण
विश्व भर में बीमारियों से होने वाली मौतों में हार्ट अटैक के बाद ब्रेन स्ट्रोक दूसरी बड़ी वजह बताई गई है। एक साल में दो करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत ब्रेन स्ट्रोक व इसके कारण होने वाली बीमारियों की वजह से होती है।
Brain Stroke क्या होता है
ब्रेन स्ट्रोक या मस्तिष्काघात सिर में बनने वाले थक्कों की वजह से आता है। इससे सिर की नसों में होने वाला रक्त संचार बाधित हो जाता है और वह थक्के या क्लॉट के रूप में नस में जम जाता है या नस को फोड़कर सिर में फैल जाता है।
इस वजह से पैरेलेसिस या ब्रेन हेमरेज हो जाता है। जब सिर की प्रमुख धमनियों में इसकी वजह से खून के प्रवाह में कमी या रुकावट आती है तो इसे एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है। इन्हें दवाओं और जरूरत पड़ने पर सर्जरी के जरिए निकाला या हटाया जाता है।
Brain Stroke के लक्षण
स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षणों में चेहरे का झुकना या टेढ़ा होना, हाथों में कमजोरी, बोलने में कठिनाई होना, चक्कर आना, घबराहट होना, रक्तचाप या ब्लड प्रेशर बढ़ना शामिल हैं।
एंडोवास्कुलर मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी क्या होती है
एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक (acute ischemic stroke) के शिकार लोगों को आजकल डॉक्टर एंडोवास्कुलर थ्रोम्बेक्टोमी या मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की सलाह देते हैं, क्योंकि इसके नतीजे अच्छे आते हैं और मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
ऐसे मरीज, जिनके सिर में अल्प समय में बड़े थक्के बने हैं, उन्हें मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी (Mechanical Thrombectomy) से ठीक किया जा सकता है। करीब 60 फीसदी मरीजों में इसका त्वरित असर देखने को मिला है।
इसमें मरीज की धमनियों से रक्त का थक्का निकालने के लिए विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक सरल प्रक्रिया जिसमें कलाई या पेट और जांघ के बीच में छोटा सा चीरा लगाकर सिर की धमनी तक पहुंचा जाता है।
6 से 24 घंटे गोल्डन पीरियड
एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक का एंडोवास्कुलर मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से इलाज के लिए पहले 6 घंटे और अब स्ट्रोक पड़ने के 24 घंटे को गोल्डन पीरियड माना जाने लगा है।
इस दौरान जिन मरीजों को अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त अस्पताल ले जाया जाए तो न केवल उसकी जान बच सकती है, बल्कि वह जल्दी स्वस्थ भी हो सकता है।
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी उन मरीजों में ज्यादा कारगर है, जिनका सिर्फ दवाओं से इलाज संभव नहीं है। यह सर्जरी मस्तिष्क की एक या इससे ज्यादा बड़ी धमनियों में रुकावट को दूर कर खून की सामान्य आपूर्ति बहाल करती है।
एंडोवास्कुलर मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी के लाभ
इसमें समय कम लगता है। मात्र एक घंटे में यह सर्जरी हो जाती है।
ब्रेन स्ट्रोक या मस्तिष्काघात के गंभीर मरीजों के लिए यह बेहद कारगर है।
इस सर्जरी या प्रोसिजर का खर्च भी कम आता है, मरीज को ज्यादा दिन अस्पताल में रखने की जरूरत भी नहीं पड़ती है।
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नया जीवन दे रही यह सर्जरी
एम्स भोपाल में भी एंडोवास्कुलर मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी शुरू हो गई है। इसे एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने मरीज का जीवन बचाने और नया जीवन देने वाली सर्जरी करार दिया है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक का समय रहते इलाज जरूरी है। भोपाल एम्स ने यह सर्जरी शुरू इसके मरीजों को नई उम्मीद और इलाज का भरोसा दिलाया है।
स्ट्रोक से ऐसे भी हो सकता है बचाव
हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करें। साबुत अनाज, प्रोटीन, फाइबर वाला भोजन लें। ओमेगा-3, एंटीऑक्सीडेंट, पोटेशियम व फैट सीमित मात्रा में नित्य ग्रहण करें। तनाव से दूर रहें और नियमित रूप से योग व व्यायाम कर शरीर को चुस्त दुरुस्त रखें।