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RatanTata:टाटा हमें दे गए सीख के 10 अनमोल ‘रतन’

86 साल की उम्र में मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन

RatanTata: रतन टाटा हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके जीवन और कार्यों ने उनके सिद्धांतों और सीखों को हमेशा के लिए जीवंत बना दिया। 86 साल तक की उनकी जीवन यात्रा हमें इतना सिखाती है कि उसकी सूची बहुत लंबी हो जाएगी। फिर भी, कोशिश करते हैं, उनके जीवन से मिली 10 सीखों को समझने की।

RatanTata के जीवन से ये मिलती हैं 10 सीख

1. सादगी और विनम्रता

RatanTata  ने अपने जीवन को सादगी से जिया, चाहे वह कितना भी सफल क्यों न हो गए हों। उनके पास शानदार जीवनशैली अपनाने के तमाम अवसर थे, लेकिन वे हमेशा विनम्र रहे।

जब वे एक साधारण टाटा इंडिका कार में सफर करते देखे गए, तो यह उनके जीवन में सादगी और विनम्रता की जीती-जागती मिसाल बनी।

एक बार RatanTata ने कहा था, मैंने हमेशा अपने जीवन को उस तरह से जीने की कोशिश की है, जिसमें धन और संपत्ति पर कम ध्यान दिया जाता है और उससे ज्यादा उन मूल्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो वास्तव में मायने रखते हैं।”

2. समाज की भलाई में विश्वास

RatanTata की सोच यह थी कि व्यापार केवल मुनाफा कमाने के लिए नहीं है, बल्कि समाज को वापस देने के लिए भी है।

टाटा ट्रस्ट्स के जरिए उन्होंने सामाजिक कल्याण के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास शामिल थे।

एक बार उन्होंने कहा था, हम जो कुछ भी करते हैं, उसका उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ कमाना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज की समृद्धि और खुशहाली में योगदान देना भी होना चाहिए।”

टाटा समूह का 66% हिस्सा टाटा ट्रस्ट्स में जाता है, जो समाज के लिए काम करता है।

3. खुद पर विश्वास और जोखिम उठाने की क्षमता

RatanTata का निर्णय था टाटा नैनो कार को बाजार में लाना, जिसे दुनिया की सबसे सस्ती कार कहा गया।

भले ही यह व्यावसायिक दृष्टि से पूर्ण रूप से सफल नहीं रही, लेकिन यह उनके जोखिम उठाने और आम आदमी के लिए कुछ अनोखा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुझे असफलता का डर नहीं है, बल्कि यह डर है कि मैं उन सपनों को नहीं जी पाऊंगा, जिन्हें मैंने देखा है,” यह उनका कोट था, जो उनकी जोखिम उठाने की क्षमता को दर्शाता है।

4. नैतिकता और ईमानदारी

RatanTataने एक बार कहा था, मैं नहीं चाहता कि टाटा समूह सबसे बड़ा समूह बने, बल्कि मैं चाहता हूं कि हम सबसे ज्यादा सम्मानित समूह बनें।”

यह उनकी ईमानदारी और नैतिकता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां आईं, उन्होंने कभी अपने नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं किया।

उदाहरण के लिए, 1991 में उदारीकरण के बाद जब कई कंपनियों ने त्वरित मुनाफा कमाने के लिए शॉर्टकट लिए, टाटा समूह ने अपनी नैतिकता बनाए रखी और दीर्घकालिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया।

5. धैर्य और स्थिरता

2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान, जब दुनिया भर की कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा, रतन टाटा ने टाटा समूह का नेतृत्व धैर्य और स्थिरता के साथ किया।

उस समय, उन्होंने कठिन निर्णय लिए, जैसे कि टाटा स्टील के कुछ हिस्सों का पुनर्गठन, लेकिन दीर्घकालिक विकास के लिए यह जरूरी था।

उनके नेतृत्व से हमें धैर्यपूर्वक निर्णय लेने की सीख मिलती है। उनका एक प्रसिद्ध कथन है, चुनौतियां जीवन का हिस्सा हैं, आपको बस धैर्य रखना होता है और सही समय का इंतजार करना होता है।”

6. लोगों पर भरोसा और टीम वर्क

RatanTata हमेशा अपने कर्मचारियों को परिवार की तरह मानते थे। उन्होंने हमेशा उनकी उन्नति पर ध्यान दिया और उन्हें नेतृत्व के अवसर दिए।

2000 में, जब टाटा समूह ने टेटली टी (TETLEY) को खरीदा, तो यह टाटा समूह की अब तक की सबसे बड़ी अधिग्रहण डील थी।

इस डील में उन्होंने अपनी पूरी टीम पर भरोसा किया और उसे सफल बनाया। एक बार उन्होंने कहा था, आप केवल उतने ही अच्छे हैं जितनी आपकी टीम।” यह टीम वर्क और लोगों पर भरोसे की शक्ति को दर्शाता है।

7. कठिन हालात में भी सकारात्मक दृष्टिकोण

2008 में टाटा मोटर्स ने जगुआर और लैंड रोवर को खरीदा, और जल्द ही वैश्विक मंदी ने आ घेरा। कंपनी को बहुत नुकसान हुआ, लेकिन RatanTata ने अपने सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ इस चुनौती का सामना किया।

वे विश्वास रखते थे कि यह अधिग्रहण लंबे समय में फायदेमंद साबित होगा। उनके इस दृष्टिकोण ने टाटा मोटर्स को बड़ी सफलता दिलाई, और आज जगुआर और लैंड रोवर उनके सबसे प्रमुख ब्रांड्स में से हैं। कठिन समय कभी नहीं टिकता, लेकिन कठिन लोग टिकते हैं,” RatanTata का यह कथन हमें विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

8. अनुकरणीय नेतृत्व

RatanTata का नेतृत्व न केवल टाटा समूह के अंदर बल्कि पूरे विश्व में प्रशंसनीय था।

26/11 के मुंबई हमले के बाद, उन्होंने अपने होटल ‘ताज महल पैलेस’ के कर्मचारियों की हिम्मत और बलिदान को सराहा और उन सभी परिवारों को पूरी मदद दी, जिन्होंने इस हमले में अपने प्रियजनों को खो दिया था।

यह उनका मानवीय और अनुकरणीय नेतृत्व था। उन्होंने कहा था, सही नेतृत्व वह है, जो संकट में अपने लोगों के साथ खड़ा रहे और उन्हें साहस दे।”

9. नवाचार और प्रगति के प्रति समर्पण

RatanTata ने टाटा समूह को हमेशा नए क्षेत्रों में नवाचार और प्रगति के लिए प्रेरित किया। टाटा मोटर्स द्वारा टाटा नैनो और टाटा इंडिका जैसी कारों का निर्माण करना उनके नवाचार के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

जब उन्होंने कहा, अगर आप तेज़ नहीं हैं, तो आप पीछे रह जाएंगे,” यह उनका नवाचार की आवश्यकता को दर्शाने वाला कथन था।

उन्होंने हमेशा नवाचार को व्यापार की सफलता के लिए अनिवार्य माना।

10. लंबी अवधि की दूरदृष्टि

RatanTata का मानना था कि दीर्घकालिक दृष्टि ही सच्ची सफलता दिलाती है। उन्होंने हमेशा भविष्य के लिए निवेश किया, चाहे वह टाटा स्टील का विस्तार हो, टाटा मोटर्स की अधिग्रहण रणनीति हो, या टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का वैश्विक आईटी क्षेत्र में प्रवेश हो।

अल्पकालिक लाभ पर दीर्घकालिक संबंधों को प्राथमिकता दें,” यह उनका व्यवसाय में दीर्घकालिक दृष्टि पर जोर देने का संदेश था।

निष्कर्ष:

RatanTata का जीवन उनके मूल्यों और सिद्धांतों का एक उदाहरण है, जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

उनके अनुभवों से मिली ये 10 सीखें हमें बताती हैं कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी धैर्य, ईमानदारी, और नवाचार के साथ अपने जीवन को सफल बना सकता है।

यह भी पढ़ें:

https://www.thedailynewspost.com/motivation-5-hero/

https://www.youtube.com/live/iO3ZMo7OQ0E?si=XsTW9nJ35QBI1JV9

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