Hydrogen Train: भारत में रेलवे केवल परिवहन का साधन नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना का अहम हिस्सा है। देश का विशाल रेल नेटवर्क हर दिन करोड़ों यात्रियों और माल को इधर-उधर ले जाता है। लेकिन यह नेटवर्क पर्यावरणीय और परिचालन चुनौतियों का सामना कर रहा है। डीजल इंजनों का उपयोग वायु प्रदूषण और उच्च परिचालन लागत बढ़ाता है। ऐसे में Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन एक संभावित समाधान के रूप में उभरी है।
जर्मनी में हाइड्रोजन ट्रेन Hydrogen Train की सफलता ने दुनिया को दिखाया है कि रेलवे के लिए हरित ईंधन संभव है। अब भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। दिसंबर 2024 में भारत अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन का परीक्षण करने जा रहा है। लेकिन क्या Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन भारत के लिए वास्तव में फायदे का सौदा है? यह आकलन विभिन्न पहलुओं—तकनीकी, पर्यावरणीय, और आर्थिक—पर निर्भर करेगा।
Hydrogen Train की तकनीक और इसकी उपयोगिता
Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन एक ऐसी ट्रेन होती है जो हाइड्रोजन ईंधन सेल का उपयोग करती है। ईंधन सेल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न होती है, जिससे ट्रेन चलती है। इस प्रक्रिया का उप-उत्पाद केवल पानी और गर्मी होता है, जिससे यह शून्य-उत्सर्जन तकनीक कहलाती है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- शून्य-उत्सर्जन: कोई प्रदूषक गैस नहीं, केवल जलवाष्प का उत्सर्जन।
- कम ध्वनि प्रदूषण: डीजल इंजनों की तुलना में बेहद शांत।
- ऊर्जा दक्षता: लंबी दूरी तक यात्रा के लिए अधिक प्रभावी।
- लचीलापन: ऐसे क्षेत्रों में भी उपयोगी जहाँ विद्युतीकरण नहीं हुआ है।
पर्यावरणीय लाभ: हरित भविष्य की ओर कदम
भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है, जहाँ वायु गुणवत्ता एक गंभीर मुद्दा है। दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों के साथ-साथ छोटे शहर भी प्रदूषण से जूझ रहे हैं। Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन इस समस्या का समाधान हो सकती है।
- शून्य-उत्सर्जन: हाइड्रोजन ट्रेन से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता।
- ग्रीन हाइड्रोजन: भारत के पास सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की क्षमता है। इससे प्रदूषण कम होगा और ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
- पर्यावरण संरक्षण: हाइड्रोजन ट्रेनें उन क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण में मदद कर सकती हैं, जहाँ पारिस्थितिकी तंत्र संवेदनशील है, जैसे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और नीलगिरि माउंटेन रेलवे।
भारत के लिए उपयोगिता: विद्युतीकरण के बिना रेल नेटवर्क
भारत के रेल नेटवर्क का बड़ा हिस्सा अब भी डीजल पर आधारित है। हालांकि विद्युतीकरण हो रहा है, लेकिन दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में यह बेहद चुनौतीपूर्ण और महँगा है। हाइड्रोजन ट्रेन इन क्षेत्रों में डीजल का एक हरित विकल्प हो सकती है।
- ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्र: जिन क्षेत्रों में विद्युतीकरण संभव नहीं है, वहाँ हाइड्रोजन ट्रेन आदर्श समाधान हो सकती है।
- लंबी दूरी की यात्रा: हाइड्रोजन ट्रेनों को रीफ्यूल करने में कम समय लगता है और ये लंबी दूरी के लिए उपयुक्त हैं।
तकनीकी चुनौतियाँ और प्रारंभिक लागत
Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक नई और जटिल है, जिससे इसकी लागत और अन्य चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं।
1. प्रारंभिक लागत:
- ट्रेन निर्माण: एक हाइड्रोजन ट्रेन की लागत डीजल या इलेक्ट्रिक ट्रेन से अधिक होती है। जर्मनी में Coradia iLint ट्रेन की लागत लगभग ₹50-60 करोड़ प्रति यूनिट है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर: हाइड्रोजन रीफ्यूलिंग स्टेशन और भंडारण सुविधाएँ स्थापित करना महंगा है। एक स्टेशन की स्थापना लागत ₹8-16 करोड़ हो सकती है।
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ऑपरेशनल लागत:
- हाइड्रोजन का उत्पादन अभी महंगा है। 1 किलो हाइड्रोजन की लागत ₹500-700 है। एक ट्रेन को 1000 किलोमीटर चलाने के लिए 20-30 किलो हाइड्रोजन की जरूरत होती है।
- ईंधन सेल और बैटरी की उम्र लगभग 8-10 साल होती है, जिसके बाद उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है।
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स्टाफ प्रशिक्षण और सुरक्षा:
हाइड्रोजन ज्वलनशील गैस है, जिससे ट्रेन संचालन के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल और स्टाफ को प्रशिक्षण की जरूरत होगी।
सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन
भारत सरकार ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और इसके उपयोग को बढ़ावा देना है।
- नीति समर्थन: हाइड्रोजन ईंधन पर सब्सिडी और अनुदान जैसी सरकारी योजनाएँ हाइड्रोजन ट्रेन परियोजनाओं को सस्ता बना सकती हैं।
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता: हाइड्रोजन का स्वदेशी उत्पादन भारत को ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा।
किफायत बनाम पर्यावरण: लागत का सवाल
हालाँकि हाइड्रोजन ट्रेनें पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन इनकी लागत उच्च है।
लागत तुलना:
दीर्घकालिक लाभ
- हरित ऊर्जा: यदि हाइड्रोजन ग्रीन स्रोतों से उत्पन्न हो, तो यह दीर्घकालिक रूप से सस्ता और अधिक टिकाऊ होगा।
- प्रदूषण नियंत्रण: वायु गुणवत्ता में सुधार से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- डीजल विकल्प: डीजल इंजनों की जगह हाइड्रोजन ट्रेनें रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकती हैं।
निष्कर्ष
भारत में Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना के शुरुआती चरण में उच्च लागत और तकनीकी चुनौतियाँ जरूर हैं, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ इसे एक फायदे का सौदा बना सकते हैं।
- पर्यावरणीय लाभ और ऊर्जा आत्मनिर्भरता इसे भारत के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
- डीजल इंजनों का हरित विकल्प और विद्युतीकरण से दूर क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता उच्च है।
- सरकारी नीतियों और ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से लागत को संतुलित किया जा सकता है।
Hydrogen Train हाइड्रोजन ट्रेन न केवल भारत के रेलवे को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी, बल्कि इसे स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर भी ले जाएगी। यह कदम न केवल एक नई तकनीक अपनाने का है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
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