मिट्टी की खराब होती सेहत (Soil Health) पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक मृदा सम्मेलन 2024 में चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कई अध्ययनों के अनुसार हमारी 30 प्रतिशत माटी खराब हो चुकी है। रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव, मिट्टी के क्षरण के कारण और समाधान पर चर्चा करते हुए चौहान ने इसे राष्ट्रीय और वैश्विक चिंता बताया।
पढ़ें कि कैसे टिकाऊ कृषि और आधुनिक नवाचार मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं। किसान, युवा और वैज्ञानिक मिलकर इस मिशन को सफल बना सकते हैं। मिट्टी बचाऍं, जीवन बचाऍं।
Soil Health, कृषि, पर्यावरण और हमारी जिम्मेदारी
चौहान ने कहा कि मिट्टी , जो हमारे जीवन और खाद्य सुरक्षा का आधार है, आज गंभीर संकट का सामना कर रही है। मिट्टी का क्षरण न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर एक बड़ी समस्या बन गया है।
चौहान ने वैश्विक मृदा सम्मेलन 2024 में मिट्टी के महत्व (Soil Health), उसके क्षरण की चिंताओं और इसे बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर गहराई से चर्चा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि मिट्टी केवल निर्जीव तत्व नहीं है, बल्कि सजीव है और हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
Soil Health क्यों महत्वपूर्ण है?
मिट्टी (Soil Health) न केवल फसलों की उर्वरता सुनिश्चित करती है, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र का आधार भी है। श्री चौहान ने कहा कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व सीधे तौर पर हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। अगर मिट्टी बीमार होगी, तो प्राणी और मनुष्य दोनों स्वस्थ नहीं रह पाऍंगे।
मिट्टी के क्षरण के कारण और प्रभाव
श्री चौहान ने बताया कि भारतीय कृषि ने हरित क्रांति और रेनबो क्रांति के माध्यम से बड़ी उपलब्धियॉं हासिल की हैं। खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता और वैश्विक बाजार में योगदान के बावजूद, यह सफलता मिट्टी के स्वास्थ्य पर भारी पड़ी है।
मिट्टी के क्षरण के प्रमुख कारण:
- रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग:
ज्यादा उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का बढ़ता उपयोग मिट्टी की जैविक गुणवत्ता को खत्म कर रहा है। - प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन:
अत्यधिक सिंचाई, जल का दुरुपयोग और अस्थिर मौसम ने मिट्टी की संरचना को कमजोर किया है। - जलवायु परिवर्तन:
अनियमित बारिश और तापमान में बदलाव से मिट्टी का कटाव बढ़ा है। - जैविक कार्बन की कमी:
मिट्टी में जैविक कार्बन की घटती मात्रा उसकी उर्वरता और लचीलेपन को कम कर रही है।
मिट्टी के क्षरण के प्रभाव:
- फसल उत्पादन में गिरावट।
- किसानों की आय और आजीविका पर असर।
- खाद्य सुरक्षा पर खतरा।
- पर्यावरण और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव।
Soil Health, मिट्टी के संरक्षण के लिए सरकारी प्रयास
श्री चौहान ने बताया कि मिट्टी की सेहत (Soil Health) सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाऍं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (2015):
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुई इस योजना के तहत 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं। यह कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी की स्थिति और फसलों के लिए उपयुक्त उर्वरकों की जानकारी देते हैं।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना:
पर ड्रॉप, मोर क्रॉप की अवधारणा पर आधारित इस योजना में जल के सही उपयोग और अपव्यय को रोकने पर जोर दिया गया है।
- परंपरागत कृषि विकास योजना:
इस योजना के तहत 2 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया है। इससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हुई है और मिट्टी की गुणवत्ता (Soil Health) में सुधार हुआ है।
- प्राकृतिक खेती का मिशन:
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह खेती न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
- नीम-कोटेड उर्वरक और जैव उर्वरक:
नीम-कोटेड उर्वरकों और जैव उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।
- फसल विविधिकरण और माइक्रो इरिगेशन:
फसल विविधिकरण और जल प्रबंधन के माध्यम से मिट्टी के कटाव को रोकने और उसकी गुणवत्ता सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
वैज्ञानिक और सामाजिक योगदान की आवश्यकता
मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए केवल सरकार के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। इसमें वैज्ञानिक, किसान और समाज के हर वर्ग की भूमिका जरूरी है।
- वैज्ञानिक नवाचार:
मिट्टी की समस्याओं को हल करने के लिए नए तकनीकी और वैज्ञानिक उपायों की जरूरत है। - किसानों को जागरूक बनाना:
किसानों को मिट्टी के संरक्षण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के महत्व को समझाने के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए। - लैब टू लैंड:
विज्ञान और किसानों के बीच की दूरी को कम करके आधुनिक तकनीक और ज्ञान को खेतों तक पहुँचाना जरूरी है। - युवाओं और शोधकर्ताओं की भागीदारी:
युवा और शोधकर्ता मिट्टी से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए नवाचारों में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
Soil Health पर वैश्विक दृष्टिकोण
कृषि मंत्री चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि मिट्टी का क्षरण केवल राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक चिंता का विषय है। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए मिट्टी का संरक्षण अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन राष्ट्रों को एकजुट होकर टिकाऊ भूमि प्रबंधन के समाधान खोजने का अवसर प्रदान करता है। वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, उद्योगों, और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा।
निष्कर्ष
मिट्टी का संरक्षण (Soil Health) केवल किसानों या वैज्ञानिकों का कार्य नहीं है, बल्कि यह हम सभी की जिम्मेदारी है। यह धरती हमारी ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की भी है।
श्री चौहान ने कहा, “हम सभी को टिकाऊ और लाभदायक कृषि, लचीले पारिस्थितिकी तंत्र, और खाद्य सुरक्षा के लिए काम करना होगा। हमें मिट्टी की सेहत बहाल करने के मिशन में साथ आना होगा।”
आइए, हम सब मिलकर मिट्टी को बचाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने का संकल्प लें। मिट्टी बचाएं, जीवन बचाएं!
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