प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 116वीं कड़ी में एक बार Digital arrest के खतरे से देशवाासियों को आगाह किया। इससे पहले 115वीं कड़ी में उन्होंने पहली बार Digital arrest से लोगों को सावधान करते हुए इससे बचने के लिए तीन मंत्र दिए थे– रुको, सोचो और एक्शन लो। हालांकि इसके बावजूद देश में इस साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ रही हैं।
रविवार, 24 नवंबर को प्रधानमंत्री ने एक बार फिर Digital arrest के खतरे से देशवासियों को सावधान किया। उन्होंने इस खतरे से विशेष रूप से बुजुर्गों को बचाने के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया, क्योंकि इस साइबर ठगी के शिकार ज्यादातर अधिक उम्र के लोग ही हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों को Digital arrest के खतरे से बचाने के लिए युवा आगे आए हैं।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद के राजीव का जिक्र करते हुए बताया कि वे लोगों को Digital Arrest के खतरे से आगाह करते हैं। मैंने ‘मन की बात’ के पिछले episode में Digital Arrest की चर्चा की थी। इस प्रकार के अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उन्हें जागरूक बनाएं और cyber fraud से बचने में मदद करें। हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि Digital Arrest नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है – ये सरासर झूठ, लोगों को फँसाने का एक षड्यन्त्र है मुझे खुशी है कि हमारे युवा साथी इस काम में पूरी संवेदनशीलता से हिस्सा ले रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
Digital Arrest के धोखे की हकीकत
प्रधानमंत्री ने पिछले माह अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में बताया था कि Digital Arrest एक धोखाधड़ी है, जिसमें कॉलर पुलिस, CBI, नार्कोटिक्स, या RBI जैसे अधिकारी बनकर कॉल करता है। इस फरेब का उद्देश्य लोगों को मानसिक तनाव में डालकर उनकी निजी जानकारी और धन हड़पना है। पीएम ने कहा कि इस तरह की ठगी से लड़ना जरूरी है और सभी को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए।
फ्रॉड करने वालों के तीन मुख्य दांव
- व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा करना: ठग आपकी निजी जानकारी जैसे हाल की यात्रा, परिवार के सदस्य आदि के बारे में सब कुछ जानते हैं। इससे वे विश्वास हासिल करने का प्रयास करते हैं।
- भय का माहौल बनाना: कॉलर वर्दी, सरकारी दफ्तर का माहौल, कानूनी धाराओं का जिक्र करते हैं, जिससे पीड़ित डरकर जानकारी साझा करने पर मजबूर हो जाता है।
- समय का दबाव: कॉलर जल्द निर्णय लेने का दबाव डालते हैं, जैसे ‘अभी फैसला करना होगा, नहीं तो आपको गिरफ्तार करना पड़ेगा।’
Digital Arrest से बचने के तीन उपाय
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे साइबर ठगी से बचने के लिए तीन चरण अपनाना चाहिए:
- रुको: जब ऐसी कोई कॉल आए, तो घबराएं नहीं। संयम से काम लें, किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
- सोचो: समझें कि सरकारी एजेंसियाँ कभी भी फोन पर इस तरह की धमकी नहीं देतीं। अगर किसी भी प्रकार की संदेहजनक स्थिति लगे, तो समझें कुछ गलत है।
- एक्शन लो: तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें। पुलिस और परिवार को भी इसकी जानकारी दें।
जागरूकता बढ़ाने के लिए किया था आह्वान
- प्रधानमंत्री ने सभी नागरिकों से इस साइबर ठगी के बारे में जागरूकता बढ़ाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि #SafeDigitalIndia का उपयोग कर सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर जागरूकता फैलानी चाहिए और स्कूली छात्रों को भी इस मुहिम से जोड़ा जाना चाहिए।
- अंत में, पीएम मोदी ने कहा था कि सामूहिक प्रयासों से ही समाज इस चुनौती का मुकाबला कर सकता है। Digital Arrest जैसे साइबर फरेब के प्रति समाज को सजग रहना चाहिए और जागरूकता फैलाना चाहिए, ताकि किसी भी नागरिक को इस प्रकार की धोखाधड़ी का सामना न करना पड़े।
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