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YouthMentalHealth: सोशल मीडिया, स्मार्टफोन और जंक फूड बना रहे मानसिक बीमार

आर्थिक सर्वे में जताई गई चिंता, जबकि युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य भारत की भावी अर्थव्यवस्था की नींव

युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य (YouthMentalHealth) उनके भविष्य और देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, सोशल मीडिया, स्मार्टफोन और जंक फूड का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। संतुलित जीवनशैली, व्यायाम और पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाकर इसे सुधार सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य (YouthMentalHealth) केवल व्यक्तिगत सुख-शांति का विषय नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास और सामाजिक समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। संसद में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में इस पहलू को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है।

YouthMentalHealth: मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता

इसमें बताया गया है कि युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य (YouthMentalHealth) देश की उत्पादकता और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। यदि भारत को अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी।

केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार 31 जनवरी को संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि स्‍वस्‍थ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य (YouthMentalHealth) जीवन की चुनौतियों और कार्यकलापों को आगे बढ़ाने मुख्‍य कारक है। स्‍वस्‍थ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य हमारी सभी भावनाओं, सामाजिक और   भौतिक क्षमताओं को बढ़ाता है।

कार्यस्थल संस्कृति, लाइफस्टाइल और मानसिक स्वास्थ्य का संबंध

आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में, कार्यस्थल की संस्कृति और व्यक्तिगत जीवनशैली मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। कार्यस्थल पर अनुकूल माहौल न केवल उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करता है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, लाइफस्टाइल और पारिवारिक परिस्थितियां मानसिक स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, जो लोग अत्यधिक प्रोसेस्ड या जंक फूड का सेवन करते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में कमजोर पाया गया है जो संतुलित आहार लेते हैं। इसी तरह, जो लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते, सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं, या परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध नहीं रखते, वे मानसिक तनाव और अवसाद का शिकार हो सकते हैं।

सोशल मीडिया और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

आर्थिक सर्वेक्षण ने जोनाथन हैडिट की किताब द एनक्शियस जेनेरेशन: हाउ द ग्रेट रीराइटिंग ऑफ चिल्ड्रेन इज़ कॉजिंग एन एपीडेमिक ऑफ मेंटल इलनेस’ का हवाला देते हुए बताया कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का अधिक उपयोग बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। फोन-आधारित जीवनशैली से न केवल उनका मानसिक विकास बाधित हो रहा है, बल्कि यह चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को जन्म दे रहा है। ‘फोन-आधारित बचपन’ से उम्र बढ़ने के साथ-साथ का अनुभव उलझ रहा है।

मानसिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था

आर्थिक सर्वेक्षण में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि खराब मानसिक स्वास्थ्य (YouthMentalHealth) न केवल व्यक्तिगत स्तर पर हानिकारक है, बल्कि इसका असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। कार्यस्थल पर बढ़ता तनाव और मानसिक अस्वस्थता कर्मचारियों की उत्पादकता को कम कर सकते हैं, जिससे आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है।

अगर कर्मचारी मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे, तो वे अधिक कुशलता से काम कर सकेंगे, जिससे उद्योगों की उत्पादकता और नवाचार क्षमता बढ़ेगी। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य को केवल एक व्यक्तिगत समस्या के रूप में नहीं, बल्कि एक आर्थिक एजेंडा के रूप में देखना होगा।

समाधान: मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना

युवाओं और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कुछ प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  1. स्कूल और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा:

    मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाने के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रमों में इसे शामिल किया जाना चाहिए।

  2. कार्यस्थल पर अनुकूल माहौल:

    कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए एक संतुलित कार्य-संस्कृति प्रदान करनी चाहिए, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य को महत्व दिया जाए।

  3. सोशल मीडिया का सीमित उपयोग:

    बच्चों और युवाओं को सोशल मीडिया से सीमित समय तक जुड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

  4. पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाना:

    परिवार के सदस्यों के बीच संवाद और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा।

  5. व्यायाम और आहार में सुधार:

    नियमित व्यायाम और संतुलित आहार मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 यह दर्शाता है कि मानसिक स्वास्थ्य (YouthMentalHealth) केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और आर्थिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। यदि भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, तो मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी।

हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने और पारंपरिक मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है, जिससे एक स्वस्थ और संतुलित समाज का निर्माण किया जा सके। मानसिक स्वास्थ्य (YouthMentalHealth) को आर्थिक विकास से जोड़कर देखने का यह नया दृष्टिकोण हमें भविष्य में अधिक समृद्धि और सफलता की ओर ले जाएगा।

यह भी पढ़ें:

https://www.thedailynewspost.com/walking-for-better-life/

https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2097870&reg=3&lang=2

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