
यह पत्रकार से उद्यमी (JournalistToEntrepreneur) बनने की प्रेरणादायक कहानी है। कभी खबरों की दुनिया में कलम चलाने वाले दो पत्रकारों ने अपने जुनून और रचनात्मक सोच से एक सफल स्टार्टअप खड़ा कर दिया।यह कहानी है नोएडा के रहने वाले अमित और माधुरी की, जिन्होंने पत्रकारिता से उद्यमिता का सफर तय किया और अब करोड़ों का बिजनेस चला रहे हैं। उनका स्टार्टअप ‘कवि’ (Kavi) कबाड़ को खूबसूरत सजावटी और उपयोगी उत्पादों में बदलने का काम करता है। इस सफर की शुरुआत मात्र ₹2000 से हुई थी और अब यह स्टार्टअप ₹6 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच चुका है।
JournalistToEntrepreneur : पत्रकारिता से उद्यमिता की ओर
अमित और माधुरी पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत थे, लेकिन उनकी सोच हमेशा कुछ अलग करने की थी। एक इवेंट के दौरान उन्होंने देखा कि आर्टवर्क की कीमतें बहुत अधिक हैं। तभी उन्होंने सोचा कि वे भी ऐसे उत्पाद बना सकते हैं, जो सुंदर और किफायती हों।
उन्होंने 5 प्रोडक्ट तैयार किए और फेसबुक पर अपलोड कर दिए। उन्होंने सिर्फ प्रतिक्रिया की उम्मीद की थी, लेकिन लोग खरीदने के लिए तैयार हो गए। पहली बार उन्होंने अपने प्रोडक्ट को ₹2500 में बेचा और यहीं से उनकी उद्यमिता की यात्रा शुरू हो गई।
छोटे प्रयास से बड़ी सफलता तक
पहली बिक्री के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा और वे हैदराबाद में एक एग्जीबिशन में पहुंचे। वहां वे 18 प्रोडक्ट लेकर गए और सभी तुरंत बिक गए। यह संकेत था कि उनके प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ रही है।
इसके बाद 2017 में एक कंपनी ने उनसे 5000 प्रोडक्ट का ऑर्डर दिया, जिसकी कुल कीमत ₹27 लाख थी। यह उनके बिजनेस के लिए एक बड़ा मौका था, जिसके लिए उन्होंने 3-4 फैक्ट्रियों की छत किराए पर लेकर वहां उत्पादन शुरू किया। और यहीं से उनके पत्रकार से उद्यमी (JournalistToEntrepreneur) बनने का सफ़र शुरू हो गया।
कवि: कबाड़ से क्रिएटिविटी तक का सफर
कवि (Kavi) एक सोशल इंपैक्ट स्टार्टअप है, जो कबाड़ को अपसाइकिल कर आकर्षक और उपयोगी उत्पाद बनाता है। अब तक यह स्टार्टअप 10 लाख से अधिक कांच की बोतलों को दोबारा इस्तेमाल कर चुका है। उनका लक्ष्य है कि कांच की कोई भी बोतल लैंडफिल में न जाए, क्योंकि इसे पूरी तरह से नष्ट होने में 4000 साल लगते हैं।
बूटस्ट्रैप्ड कंपनी और ग्रोथ की उड़ान
अभी इस कंपनी में अमित और माधुरी के पास 40-40% इक्विटी है, जबकि अमित की पत्नी सौम्या के पास 20% इक्विटी है। कंपनी का टारगेट ग्रुप 20-45 साल के उपभोक्ता हैं और उनका रिपीट कस्टमर रेट 15% है। उनका आधा बिजनेस बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) और आधा बी2सी (बिजनेस टू कस्टमर) है।
JournalistToEntrepreneur : 6 करोड़ के टर्नओवर का लक्ष्य
बीते साल कवि ने ₹3.56 करोड़ की सेल की, जबकि उससे पहले ₹1.59 करोड़ और उससे पहले ₹94 लाख की कमाई हुई थी। इस साल उनका लक्ष्य ₹6 करोड़ का टर्नओवर हासिल करना है। अच्छी बात यह है कि कंपनी लगभग 20% एबिटडा (EBITDA) मार्जिन पर काम कर रही है।
200 रैग पिकर्स के लिए रोज़गार का अवसर
अमित और माधुरी सिर्फ बिजनेस ही नहीं चला रहे, बल्कि समाज में भी बदलाव ला रहे हैं। उनके स्टार्टअप के साथ 200 से अधिक रैग पिकर्स (कचरा बीनने वाले) जुड़े हैं, जिनकी आमदनी पहले से चार गुना बढ़ चुकी है। इसके अलावा, उनकी फैक्ट्री में 15 लोग काम कर रहे हैं, जिनमें से 10 को पूरी ट्रेनिंग दी गई है और 5 विशेष कार्यों को संभालते हैं।
Shark Tank India Season 4 में मिला मंच
अमित और माधुरी अपने स्टार्टअप को अगले स्तर पर ले जाने के लिए Shark Tank India Season 4 में पहुंचे। उन्होंने 1.5% इक्विटी के बदले ₹60 लाख की फंडिंग मांगी। हालांकि, शार्क रितेश ने फंडिंग नहीं दी, लेकिन 100 लैंपशेड का ऑर्डर जरूर दिया और आगे और भी ऑर्डर देने का वादा किया।
पत्रकार से उद्यमी (JournalistToEntrepreneur) बने फाउंडर्स ने 1.5% इक्विटी के बदले ₹60 लाख की फंडिंग मांगी थी। हालाँकि, उन्हें शार्क्स से फंडिंग नहीं मिली, लेकिन शार्क रितेश अग्रवाल ने 100 लैंप शेड का ऑर्डर दिया और कहा कि यदि यह सफल रहा, तो आगे और भी ऑर्डर दिए जाएंगे।
- पीयूष बंसल ने सुझाव दिया कि वे फैक्ट्री में स्पेशली एबल्ड लोगों को नौकरी दें, जिससे उनकी ब्रांड वैल्यू और सेल्स में इजाफा होगा।
- अमन गुप्ता ने कहा कि उन्हें अपने लोगो से पोएट्री हटाकर रीब्रांडिंग करनी चाहिए।
- अनुपम मित्तल और नमिता थापर ने डील में रुचि नहीं दिखाई।
अमित और माधुरी की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने करियर में बदलाव लाने की सोच रहा है। उन्होंने पत्रकारिता से एक नई दिशा में कदम बढ़ाया (JournalistToEntrepreneur) और अपने जुनून को व्यवसाय में बदल दिया। उनकी (JournalistToEntrepreneur) यात्रा यह बताती है कि अगर आपमें कुछ नया करने का हौसला है, तो आप किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।
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