Antiquities : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बीच अमेरिका ने बड़ा एलान किया है। अमेरिका भारत से चुराई गई या तस्करी से ले जाई गई 297 प्राचीन वस्तुओं Antiquities की वापसी में सहयोग करेगा। ये वस्तुएं जल्द ही भारत को लौटाई जाएंगी।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच डेलावेयर के विलमिंगटन में हुई द्विपक्षीय बैठक में कुछ चुनिंदा वस्तुएं Antiquities प्रतीकात्मक रूप से सौंपी गईं।
प्रधानमंत्री ने इस सहयोग के लिए राष्ट्रपति बाइडेन का धन्यवाद किया और कहा कि ये प्राचीन वस्तुएं Antiquities न केवल भारत की ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि भारतीय सभ्यता और चेतना की बुनियाद भी हैं।
Antiquities : प्राचीन वस्तुएं और उनका महत्व
ये Antiquities लगभग 4000 साल पुरानी हैं, जो 2000 ईसा पूर्व से लेकर 1900 ईस्वी तक की विभिन्न अवधि की हैं। इनका उद्गम भारत के विभिन्न हिस्सों से हुआ है और इनमें से ज्यादातर पूर्वी भारत की टेराकोटा कलाकृतियां हैं। अन्य वस्तुएं पत्थर, धातु, लकड़ी और हाथी दांत से बनी हैं। इनमें से कुछ उल्लेखनीय वस्तुएं इस प्रकार हैं:
1. अप्सरा की मूर्ति (10-11वीं शताब्दी, मध्य भारत): बलुआ पत्थर से बनी यह मूर्ति कला की उत्कृष्टता का प्रतीक है।
2. जैन तीर्थंकर की प्रतिमा (15-16वीं शताब्दी, मध्य भारत): कांस्य से बनी यह प्रतिमा जैन धर्म के धार्मिक इतिहास को दर्शाती है।
3. टेराकोटा फूलदान (तीसरी-चौथी शताब्दी, पूर्वी भारत): प्राचीन भारतीय टेराकोटा कला का यह एक सुंदर नमूना है।
4. भगवान गणेश की कांस्य प्रतिमा (17-18वीं शताब्दी, दक्षिण भारत): गणेश जी की यह प्रतिमा दक्षिण भारतीय कला की सुंदरता को दर्शाती है।
5. भगवान बुद्ध की मूर्ति (15-16वीं शताब्दी, उत्तर भारत): बलुआ पत्थर से बनी यह खड़ी मूर्ति भगवान बुद्ध की शांति और धैर्य का प्रतीक है।
6. भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा (17-18वीं शताब्दी, पूर्वी भारत): यह प्रतिमा भगवान विष्णु की महत्ता और शक्ति का प्रतीक है।
7. मानव आकृति (2000-1800 ईसा पूर्व, उत्तर भारत): तांबे से बनी यह आकृति प्राचीन भारतीय धातु कला की परंपरा को दर्शाती है।
8. भगवान कृष्ण की कांस्य मूर्ति (17-18वीं शताब्दी, दक्षिण भारत): यह मूर्ति भगवान कृष्ण की अद्वितीयता और उनकी धार्मिक महिमा को दर्शाती है।
9. भगवान कार्तिकेय की मूर्ति (13-14वीं शताब्दी, दक्षिण भारत): ग्रेनाइट में बनी यह मूर्ति दक्षिण भारत की उत्कृष्ट मूर्तिकला का प्रमाण है।
सांस्कृतिक धरोहर की वापसी का महत्त्व
भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक धरोहरों की वापसी हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण विषय बन गई है। 2016 से, अमेरिका ने कई प्राचीन वस्तुओं Antiquities को भारत को वापस लौटाने में मदद की है।
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 10 प्राचीन वस्तुएं वापस की गईं, जबकि 2021 में 157 और 2022 में 105 वस्तुएं लौटाई गईं। अब तक, अमरीका ने भारत को कुल 578 सांस्कृतिक धरोहरें लौटाई हैं, जो किसी भी देश द्वारा लौटाई गई सबसे बड़ी संख्या है।
अमेरिका द्वारा लौटाई गई प्राचीन वस्तुएं:
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2016: 10 वस्तुएं
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2021: 157 वस्तुएं
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2022: 105 वस्तुएं
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2024: 297 वस्तुएं (प्रतीक्षित)
आपसी समझ की मजबूती का प्रतीक
यह पहल भारत और अमरीका के बीच बढ़ते सांस्कृतिक संबंधों और आपसी समझ को मजबूत करती है। इससे न केवल दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के महत्व को भी उजागर करता है।
सांस्कृतिक समृद्धि को और मजबूती मिलेगी
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि ये प्राचीन वस्तुएं भारतीय सभ्यता का आंतरिक हिस्सा हैं और उनकी वापसी से देश की सांस्कृतिक समृद्धि को और मजबूती मिलेगी।
ऐसे सांस्कृतिक सहयोग से भारत और अमरीका के संबंधों में और गहराई आएगी और सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के वैश्विक प्रयासों को भी बल मिलेगा।
जुलाई में हुआ था समझौता
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अमेरिकी विदेश विभाग के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो ने जुलाई 2024 में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
इसका उद्देश्य भारत और अमरीका के बीच सांस्कृतिक समझ को बढ़ाना और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए सहयोग करना है।
यह समझौता राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है, जो उन्होंने जून 2023 की बैठक में व्यक्त की थीं।
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