
प्रकृति ने हमें अनेक ऐसे खाद्य पदार्थ दिए हैं जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं। जरूरत उन्हें पहचानने और उनका इस्तेमाल करने की है। कुछ वर्षों में देश में तेजी से बढ़ते डायबिटीज मरीजों को देखते हुए कम कैलोरी वाले और कम मीठे खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ी है। कुछ वर्षों पूर्व काले गेहूं black wheat की खेती होने लगी तो अब काले चावल black rice चर्चा और मांग दोनों में हैं। आज हम आपको काले गेहूं और काले चावल दोनों के गुणों के बारे में विस्तार से बताएंगे। ये दोनों कैंसर और शुगर समेत कई गंभीर रोगों से बचाव के भी काम आते हैं।
दरअसल, गेहूं मानव आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में गेहूं प्रोटीन के बड़े और सस्ते स्रोत के रूप में खाया जाता है।
यह शरीर की जरूरत की कैलोरी के स्रोत के रूप में चावल के बाद दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन जिन लोगों को डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं, उन्हें गेहूं और चावल से थोड़ा परहेज करने की सलाह दी जाती हैं।
इसके विकल्प के रूप में ग्लूटेन मुक्त गेहूं और चावल की किस्में तेजी से ईजाद की जाने लगी हैं।
काला गेहूं black wheat
ये सामान्य गेहूं की तुलना में आकार में थोड़े छोटे होते हैं, जबकि पोषण की दृष्टि से ये बेहद लाभकारी हैं। ये ग्लूटेन फ्री होने की वजह से शुगर जैसी अनेक बीमारियों में बहुत प्रभावकारी हैं।
इसकी पैदावार सामान्य गेहूं की तुलना में कम होती है, लेकिन इसके दाम ज्यादा होने से कम उपज की भरपाई कर देते हैं। देश में इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में होती है।
काले गेहूं के लाभ black wheat benefits
- इसमें कई पोषक तत्व होते हैं। यह अच्छी सेहत का खजाना है। इसे काला सोना भी कहा जाता है।
- काला गेहूं black wheat मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर रोधी गुणों से लैस है।
- काला गेहूं पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से छूटकारा दिलाता है।
- इसकी रोटी, चपाती खाने से वजन भी नहीं बढ़ता है शरीर की कैलोरी की जरूरत भी पूरी होती है।
- काले गेहूं की चपाती खाने से त्वचा की चमक बढ़ती है।
- काले घने केश की महिलाओं की ख्वाहिश भी पूरी होती है।
यहां हो रही काले गेहूं की खेती
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में काले गेहूं की खेती की जा रही है। नवंबर माह में इसकी बोआई की जाती है और मार्च व अप्रैल में इसकी कटाई हो जाती है।
एक बीघा जमीन में ये लगभग 10 से 12 क्विंटल तक होते हैं। इनकी पैदावार सामान्य गेहूं की तुलना में कम है, लेकिन इसका मूल्य ज्यादा होने से पैदावार में कमी की पूर्ति हो जाती है।
काले चावल black rice
काले चावल black rice कई पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत हैं। इनमें प्रोटीन, फाइबर और आयरन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इन्हें खाने से शरीर को मजबूती मिलती है और प्रतिरक्षा तंत्र भी मजबूत होता है।
इनमें पाया जाने वाला एंथोसायनिन रक्त में शुगर का लेवल नियंत्रित करता है। इससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है। एंथोसायनिन शरीर में इंसुलिन बनाने में भी मदद करता है।
काले चावल की खासियत
- काला चावल प्रोटीन, फाइबर और आयरन का अच्छा स्रोत होने के अलावा, काला चावल विशेष रूप से कई एंटीऑक्सीडेंट में उच्च होता है। दरअसल, एंटीऑक्सीडेंट ऐसे यौगिक होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं।
- यह तनाव हृदय रोग, अल्जाइमर और कैंसर जैसी बीमारियों की जोखिम पैदा करता है।
- इनमें सूजन रोधी, एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर विरोधी गुण होते है।
- फ्लेवोनोइड्स दिल की बीमारियों से बचाव करता है।
- एंथोसायनिन कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद करता है।
- काले चावल को खाने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
असम में कहलाते हैं चक हाओ
असम में काले चावल को चक हाओ Chak Hao कहा जाता है। काले चावल खाने से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।
चक हाओ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बेहद कम होता है। डायबिटीज मरीजों के लिए ये चावल लाभकारी होते हैं।
इनमें फाइबर ज्यादा होने से पाचन तंत्र सुधरता है। चक हाओ खाने से लंबे समय तक भूख नहीं लगती और वजन कम करने में मदद मिलती है। ये शरीर में रक्त शुद्धि का भी काम करते हैं।
डिस्क्लेमर: आलेख में दी गई जानकारी मात्र सूचनात्मक है।
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