डिजिटल युग में इंटरनेट और स्मार्टफोन ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ साइबर क्राइम (Cyber Crime) के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। साइबर धोखाधड़ी, डिजिटल ठगी और डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) जैसे मामलों ने लोगों को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। हाल ही में ग्वालियर में एक रिटायर्ड डॉक्टर ने “डिजिटल अरेस्ट” के डर में आकर 21 लाख रुपये गंवा दिए। ऐसे मामलों से निपटने के लिए सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है।
Cyber Crime और डिजिटल अरेस्ट का सच
ठग अक्सर खुद को पुलिस या किसी जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर “डिजिटल अरेस्ट” की धमकी देते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से फर्जी है और भारतीय कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है। सरकार ने बार-बार चेतावनी दी है कि ऐसे झांसे में न आएं और तुरंत साइबर क्राइम (Cyber Crime) हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करें।
संदिग्ध कॉल्स से बचने के उपाय
केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय (DoT) ने कुछ विशेष कोड वाले फोन नंबरों से सावधान रहने की सलाह दी है। +77, +89, +85, +86, और +84 जैसे नंबरों से आने वाली कॉल्स को रिसीव न करें। इनका उद्देश्य लोगों को धोखे में डालकर आर्थिक नुकसान पहुंचाना है।
हालांकि, +91 से शुरू होने वाले कॉल भी ठगी के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। लेकिन इनका पता लगाना आसान होता है, जिससे अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलती है।
“रुको और सोचो” की नीति अपनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्रालय, और दूरसंचार मंत्रालय लगातार जनता को आगाह कर रहे हैं कि किसी भी संदिग्ध कॉल का जवाब देने से पहले “रुको और सोचो” की नीति अपनाएं।
- अज्ञात नंबरों से कॉल न उठाएं।
- यदि ऐसे नंबर से बार-बार कॉल आए, तो उसे तुरंत ब्लॉक और रिपोर्ट करें।
- अपनी शिकायत स्थानीय साइबर पुलिस क्राइम ब्रांच को दें।
शिकायत कहां और कैसे दर्ज करें?
दूरसंचार मंत्रालय ने चक्षु पोर्टल (http://sancharsaathi.gov.in) पर शिकायत दर्ज करने का विकल्प दिया है। इस पोर्टल का उद्देश्य संदिग्ध नंबरों को ब्लॉक करना और ठगों पर कार्रवाई करना है।
इसके अलावा, नेशनल साइबर क्राइम (Cyber Crime) हेल्पलाइन 1930, इंदौर पुलिस की हेल्पलाइन 704912-4445, या Citizen Cop App पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। समय पर की गई रिपोर्टिंग से पुलिस ठगों के खातों को सीज कर धनराशि वापस दिला सकती है।
इंदौर में बढ़ते साइबर क्राइम के मामले
इंदौर में साइबर अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में ठगों ने पुलिस अधिकारियों को भी निशाना बनाया।
- परदेशीपुरा थाने के टीआई पंकज द्विवेदी को एक कॉल में “बेटे को रेप केस में फंसाने” की धमकी दी गई।
- इससे पहले क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया को भी ठगने की कोशिश की गई।
हालांकि, दोनों अधिकारी सतर्क रहे और ठगी से बच गए।
ठगी के पैसे वापस दिलाने में पुलिस की सफलता
इंदौर पुलिस की फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन टीमें ठगी के मामलों में तेजी से कार्रवाई कर रही हैं। अब तक ठगे गए लोगों के 3.45 करोड़ रुपये वापस दिलाए जा चुके हैं। नवंबर 2024 में, पुलिस ने अब तक की सबसे बड़ी राशि रिकवर की है।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया का कहना है कि समय पर सूचना देने से ठगी गई रकम को जल्दी रिकवर किया जा सकता है।
साइबर क्राइम (Cyber Crime) से बचने के उपाय
- संदिग्ध नंबरों से सावधान रहें: +77, +89, +85 जैसे नंबरों से आने वाली कॉल्स न उठाएं।
- ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में सतर्कता बरतें: फिशिंग ईमेल और नकली लिंक से बचें।
- मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें: अपने अकाउंट्स को दो-स्तरीय सुरक्षा (2FA) से सुरक्षित रखें।
- साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करें: संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना दें।
- साइबर पाठशाला में भाग लें: स्थानीय पुलिस द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों में हिस्सा लें।
- इंदौर पुलिस की साइबर हेल्पलाइन cyber helpline, citizen cop, NCRP या
- साइबर हेल्पलाइन नंबर 704912-4445 पर शिकायत की जा सकती है।
निष्कर्ष
डिजिटल क्रांति ने हमें सुविधाएं दी हैं, लेकिन इसके साथ साइबर क्राइम (Cyber Crime) जैसे खतरे भी बढ़ गए हैं। डिजिटल अरेस्ट जैसी फर्जी कॉल्स और अन्य धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। किसी भी संदिग्ध कॉल या ट्रांजैक्शन की सूचना तुरंत दें और जागरूक रहें। आपकी सतर्कता ही आपकी संपत्ति और पहचान की रक्षा कर सकती है।
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