देश में 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के पुरोधा रहे ख्यात अर्थशास्त्री और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह Former PM Manmohan Singh का गुरुवार 26 दिसंबर की रात 9.51 बजे निधन हो गया। 92 वर्षीय मनमोहन सिंह के निधन पर देश के सियासी जगत में शोक लहर छा गई। पीएम रहते उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उम्मीद जताई थी कि इतिहास मेरे साथ न्याय करेगा।
Former PM Manmohan Singh
डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh का जन्म अविभाजित भारत के पश्चिमी पंजाब के गाह में 26 सितंबर 1932 को हुआ था। अब यह पंजाब पाकिस्तान में है। आजादी के बाद वहां से उनका परिवार भारत आ गया। उन्हें उनके चाचा ने पाल पोसकर बड़ा किया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत देश के तमाम नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह Ex PM Manmohan Singh को उम्र संबंधी दिक्कतों की वजह से गुरुवार रात 8 बजे दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। करीब दो घंटे बाद रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे देश के प्रखर अर्थशास्त्री थे। 1991 में देश में शुरू किए गए आर्थिक उदारीकरण के वे सूत्रधार रहे। वर्ष 2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे।
कांग्रेस द्वारा जारी बयान के अनुसार उनके कार्यकाल में भारत दो लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था। उस दौरान करोड़ों लोगों को गरीबी की रेखा से बाहर निकाला गया।
आर्थिक सुधारों के सूत्रधार रहे
डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh विश्व बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक समेत देश की कई वित्तीय संस्थाओं के अग्रणी अर्थशास्त्री रहे। उन्होंने सर्वप्रथम नरसिंहराव सरकार में बतौर वित्त मंत्री देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। इसके बाद जब वे 2004 में पीएम बने तो भारत ने जबर्दस्त आर्थिक विकास किया और आम आदमी व मध्यम वर्ग को बड़ा लाभ पहुंचाया।
देश के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में थे : मोदी
डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा- भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने।
उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।
मैट्रिक पंजाब से और उच्च शिक्षा लंदन से की
विश्व के महान अर्थशास्त्रियों में शुमार रहे डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh ने 1948 में पंजाब से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की और उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल किया था।
शिक्षक भी रहे डॉ. मनमोहन
इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में कार्य किया। कुछ वर्षों के लिए उन्होंने यूएनसीटीएडी सचिवालय के लिए भी काम किया। 1971 में डॉ. मनमोहन सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई। उन्होंने वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
रिजर्व बैंक के गर्वनर रहते किए कई सुधार
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर थे। उनके कार्यकाल के दौरान बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित व्यापक कानूनी सुधार किए गए और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में एक नया अध्याय जोड़ा गया और शहरी बैंक विभाग की स्थापना की गई। आरबीआई में अपने कार्यकाल के बाद, उन्होंने वित्त मंत्री नियुक्त होने से पहले कई पदों पर काम किया। वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल इस तथ्य के लिए उल्लेखनीय था कि उन्होंने भारत में उदारीकरण और व्यापक सुधारों की शुरुआत की।
1991 से 96 तक वित्त मंत्री रहे
डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh ने 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया, जो आजादी के बाद भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था। तत्कालीन पीएम नरसिंह राव के नेतृत्व में उन्होंने देश में क्रांतिकारी उदारीकरण की शुरुआत की थी।
डॉ. मनमोहन सिंह कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजे गए
पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण(1987); भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार; कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)।
उनको जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो की तरफ से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. मनमोहन सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफोर्ड और अन्य कई विश्वविद्यालयों की तरफ से मानद उपाधियां प्रदान की गईं।
लगातार दो बार देश का किया नेतृत्व
डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने 1993 में साइप्रस में राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है।
अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे जहां वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे। वहीं डॉ. मनमोहन सिंह Manmohan Singh ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
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