दुनिया के कुख्यात अमेरिकी फंड मैनेजर जॉर्ज सोरोस George Soros भारत की अंदरुनी राजनीति में दखल को लेकर एक बार फिर चर्चित हैं। कांग्रेस से उनके रिश्तों की आंच सोनिया गांधी और गांधी परिवार तक पहुंची है। सोरोस सबसे बड़े फंड मैनेजरों में शामिल हैं। वे दुनिया के बड़े दानताओं और परोपकारियों में भी शामिल हैं। उनके क्वांटम फंड ने 1970 से 2000 तक 30% का औसत वार्षिक रिटर्न हासिल किया। वे सोरोस फंड मैनेजमेंट एलएलसी के अध्यक्ष हैं। भारत समेत कई देशों में वे राजनीतिक दलों को भी मोटा चंदा देते हैं और बदले में अपने हितों को बढ़ावा देने वाले काम कराते हैं। आरोप है कि उनके कांग्रेस और गांधी परिवार से भी कनेक्शन हैं।
George Soros सत्ता परिवर्तन कराने में सक्रिय
7.2 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति के मालिक सोरोस दुनियाभर में राजनीतिक दखलंदाजी के माहिर खिलाड़ी हैं। उनके द्वारा अब तक अरबों डॉलर का चंदा दिया गया है। George Soros पर आरोप लगाया जाता है कि वे राजनीति को आकार देने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने धन और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं और अरबों डॉलर दान करते हैं।
राजीव गांधी फाउंडेशन से रिश्ते का आरोप
भाजपा का आरोप है कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन की जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ साझेदारी हुई है। इससे भारतीय संगठनों पर विदेशी फंडिंग का प्रभाव साफ होता है। भाजपा ने एक्स पर पोस्ट कर सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी का यह भी आरोप है कि एफडीएल-एपी फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का संबंध जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन से जुड़े एक संगठन से है। यह भारत की राजनीति को प्रभावित करने का सोरोस और सोनिया का गठबंधन है।
कश्मीर को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में चाहता है एफडीएल-एपी
भाजपा ने यह भी दावा किया है कि George Soros से जुड़ा संगठन एफडीएल-एपी फाउंडेशन मानता है कि कश्मीर को एक स्वत्रंत्र राष्ट्र माना जाए। सोनिया गांधी और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में कश्मीर के विचार का समर्थन करने वाले संगठन के बीच यह जुड़ाव भारत के आंतरिक मामलों पर विदेशी संस्थाओं के प्रभाव और ऐसे संबंधों के राजनीतिक प्रभाव को बताता है। आरोप है कि George Soros अपने संगठनों के माध्यम से मानवाधिकारों के हनन की आड़ में कई देशों में सत्ता विरोधी षड्यंत्रों को अंजाम देते हैं और अमेरिकी संगठनों व सरकार के पक्ष में लॉबिंग का काम करते हैं।
भारत जोड़ो में शामिल हुआ था शेट्टी?
भाजपा ने एक्स पर यह भी लिखा है कि George Soros के चंदे से बनी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी ने कांग्रेस व विपक्ष के नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में भाग लिया था। इसे लेकर भाजपा ने एक तस्वीर भी साझा की है।
यह भी आरोप लगाया है कि बीते दिनों अदाणी समूह से जुड़े भ्रष्टाचार मामले को लेकर राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का जॉर्ज सोरोस की फंडिंग वाले मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी (संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना) द्वारा सीधा प्रसारण किया गया था। भाजपा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी अदाणी समूह की आलोचना के लिए ओसीसीआरपी का इस्तेमाल करते हैं। यह सांठगांठ खतरनाक है।
राष्ट्रवाद को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की
George Soros जॉर्ज सोरोस प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कड़े आलोचक रहे हैं। George Soros ने 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में एक कार्यक्रम में मोदी सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि भारत में राष्ट्रवाद आगे बढ़ रहा है, यह बड़े झटका है।
इसके बाद इसी साल फरवरी में अरबपति George Soros ने अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी की थी। तब भी वे भारत में विवादों में आ गए थे। तब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तब सोरोस पर पलटवार करते हुए कहा था कि अरबपति सोरोस भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
यहूदी हैं George Soros
- जॉर्ज सोरोस मूल रूप से यहूदी हैं। उनका जन्म अगस्त 1930 में हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में अमीर यहूदी परिवार में हुआ था।
1944 में हंगरी में नाजियों के आगमन के कारण उनके शुरुआती दिन संघर्ष भरे रहे। - सोरोस 1947 में अपने परिवार के साथ लंदन चले गए। सोरोस ने दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और दार्शनिक बनने की योजना बनाई।
1947 में इंग्लैंड में प्रवास के बाद, उन्होंने बैंकिंग में अपना करियर शुरू करने से पहले लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। - इसके बाद सोरोस ने लंदन मर्चेंट बैंक में काम किया। सोरोस 1956 में अमेरिका की आर्थिक राजधानी न्यूयॉर्क चले गए। वहां उन्होंने यूरोपीय प्रतिभूतियों के विश्लेषक बतौर काम किया।
- जॉर्ज सोरोस पर 1997 में थाईलैंड की मुद्रा (बहात) पर सट्टा लगाने और उसे कमजोर करने के आरोप लगे। हालांकि, उन्होंने इसका खंडन किया था।
- 1990 के दशक में मलेशिया समेत एशियाई देशों में वित्तीय संकट के लिए भी सोरोस को जिम्मेदार माना जाता है।
तब मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने देश की मुद्रा रिंगिट के पतन के लिए भी सोरोस को जिम्मेदार बताया था। - 1969 में उन्होंने अपना पहला हेज फंड स्थापित किया, जिसे तब डबल ईगल कहा जाता था।
- जॉर्ज सोरोस ने 16 सितंबर 1992 को एक दिन में एक अरब डॉलर की कमाई की थी। तब उन्होंने ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की शॉर्ट सेलिंग करके हासिल की थी। इससे बैंक ऑफ इंग्लैंड तबाह हो गई थी।
ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से देते हैं दान
जॉर्ज सोरोस ने 1984 में अपनी संपत्ति के कुछ हिस्सों दान कर ओपन सोसाइटी फाउंडेशन नामक एक परोपकारी संस्था बनाई थी। यह दुनियाभर में फैली कई परोपकारी संस्थाओं का एक नेटवर्क है।
ब्रिटानिका के अनुसार सोरोस का ओपन सोसाइटी फाउंडेशन अभी 70 से अधिक देशों में काम कर रहा है। George Soros अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। वे पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के करीबी और निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरोधी हैं।
1999 से भारत में सक्रिय
सोरोस फाउंडेशन 1999 से भारत में सक्रिय है। 2021 तक इस फाउंडेशन ने अपनी भारत गतिविधियों के लिए लगभग 3.4 करोड़ रुपये दिए। यह उस वर्ष दुनिया भर में सोरोस के कुल 12,703 करोड़ रुपये की फंडिंग का 0.02 प्रतिशत है।
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