अनुच्छेद 370 (Article 370) समाप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पहली बार नई विधानसभा और नई सरकार का गठन हो गया है। उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) ने कांग्रेस (Congress) के बाहरी समर्थन से सरकार की बागडोर संभाल ली है।
ऐसे में एक ही सवाल उठ रहा है कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में राज्य सरकार की असल कमान किसके हाथ होगी? क्योंकि राज्य में एलजी यानी उपराज्यपाल के हाथों में राज्य की तरह तमाम तरह की शक्तियां रहेंगी।
युवा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को एलजी मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) के मार्गदर्शन में राज्य की बेहतरी के लिए मिलकर काम करना होगा।
दिल्ली की तरह तकरार हुई तो राज्य की जनता को फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच, दिल्ली के पूर्व सीएम व आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल उमर अब्दुल्ला को दिल्ली में सरकार चलाने के अपने अनुभव साझा करने की पेशकश कर चुके हैं। हालांकि, दिल्ली में एलजी और मुख्यमंत्री के बीच तकरार का बुरा दौर सबने देखा है और कोई कश्मीरी नहीं चाहेगा कि ऐसा जम्मू-कश्मीर में भी हो।
Jammu and Kashmir: फिर साझा सरकार
जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में 10 साल बाद नई सरकार बन रही है। इसका भी नेतृत्व उमर अब्दुल्ला ही कर रहे हैं। हाल ही में आए जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को बहुमत मिला है।
विधानसभा की 90 सीटों में से नेकां को 42 सीटें और कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं। इसके पहले उमर अब्दुल्ला जनवरी 2009 से जनवरी 2015 तक जब ऐसी ही गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री थे। हालांकि, तब जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य था और अलग संविधान भी था।
पार्टी का नाम |
जीती हुई सीटें |
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) | 42 |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) | 6 |
भारतीय जनता पार्टी (BJP) | 29 |
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) | 3 |
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस (JKPC) | 1 |
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M)) | 1 |
आम आदमी पार्टी (AAP) | 1 |
निर्दलीय | 7 |
केजरीवाल की पेशकश : क्या दिल्ली का अनुभव काम आएगा?
दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने पिछले रविवार को डोडा में आप की सभा को संबोधित किया था। बता दें, जम्मू-कश्मीर में डोडा सीट से आप के मेहराज मलिक विधायक चुने गए हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर देश का पांचवां राज्य बन गया, जहां आप के विधायक चुने गए हैं।
आप दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है और गुजरात में 5 और गोवा में उसके दो विधायक हैं। डोडा की रैली में केजरीवाल ने उमर अब्दुल्ला को केंद्र शासित राज्य जम्मू कश्मीर में सरकार चलाने में अपने दिल्ली अनुभव के दम पर मदद करने की पेशकश की।
केजरीवाल के सीएम रहते उनके और दिल्ली के एलजी के बीच अक्सर तकरार की खबरें आती रही हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है।
हालांकि, जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) की परिस्थितियां बहुत भिन्न हैं और माना जा सकता है, उमर अब्दुल्ला राज्य के हित में एलजी के साथ मिलकर नई पारी खेलेंगे।
जनहित के फैसलों से राज्य प्रगति के पथ पर दौड़े और वहां की जनता की आशा आकांक्षाओं की पूर्ति हो यह सभी देशवासी चाहते हैं। इसके लिए निजी और विचारधारा के मतभेद ताक पर रखना जरूरी होंगे।
उमर अब्दुल्ला ने कहा भी है कि कश्मीरी हिंदुओं के अब घर लौटने का वक्त आ गया है। इसे अच्छा संकेत माना जा सकता है।
Jammu and Kashmir: बदल गई परिस्थिति
मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में संसद से जम्मू-कश्मीर रिकॉर्गनाइजेशन एक्ट पारित करा कर राज्य को विशेष प्रावधान देने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया। इसके साथ ही राज्य में दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं।
इसमें एक जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) और दूसरा लद्दाख है। जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में विधानसभा और निर्वाचित सरकार होगी, लेकिन लद्दाख सिर्फ केंद्र शासित रहेगा।
ऐसे में जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) राज्य की पूरी राजनीतिक व प्रशासनिक परिस्थिति बदल गई है। जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया है। वहां दिल्ली व पुड्डूचेरी की तरह विधानसभा व चुनी हुई राज्य सरकार तो होगी, लेकिन उसके संचालन में उपराज्यपाल की भूमिका अहम होगी।
उपराज्यपाल राष्ट्रपति की सलाह से केंद्र के मार्गदर्शन में काम करते हैं। राज्य में भाजपा 29 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है और वह ताकतवर विपक्ष के रूप में सामने आई है। महबूबा मुफ्ती की पीडीपी 3, जेपीसी 1 और निर्दलीय 7 हैं।
केंद्र शासित प्रदेशों में कौन प्रमुख
संविधान के अनुच्छेद 239 के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन राष्ट्रपति के अधीन होता है। राष्ट्रपति प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश में एक प्रशासक नियुक्त करते हैं।
इसके अनुसार केंद्र शासित प्रदेश दमन दीव और दादरा नगर हवेली, लक्षद्वीप, चंडीगढ़ और लद्दाख में राज्यपाल होते हैं, जबकि दिल्ली, अंडमान-निकोबार, पुड्डूचेरी और जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल या लेफ्टिनेंट गवर्नर होते हैं।
अनुच्छेद 239A लागू
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पुड्डू्चेरी की तरह संविधान का अनुच्छेद 239A लागू किया गया है, जबकि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में अनुच्छेद 239AA लागू है। अनुच्छेद 239AA को 1991 में संविधान संशोधन के जरिए जोड़ा गया।
इसमें दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का विशेष दर्जा दिया गया है। यह जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में लागू नहीं है।
दिल्ली में पुलिस, जमीन और कानून-व्यवस्था के अलावा सभी मामलों में दिल्ली सरकार को कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार को ये अधिकार भी नहीं रहेंगे।
म्मू-कश्मीर सरकार को हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि उसके किसी कानून और फैसले से केंद्रीय कानून पर कोई असर न पड़े।
उपराज्यपाल ही होंगे ताकतवर
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जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में उपराज्यपाल ही एक तरह से सर्वेसर्वा होंगे। कोई भी विधेयक विधानसभा में पेश करने, कोई भी कानून बनाने के लिए राज्य सरकार को उपराज्यपाल की मंजूरी लेना अनिवार्य है।
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उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद ही सरकारी अफसरों के तबादले और पदस्थापना की जा सकेगी।
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उपराज्यपाल के किसी भी आदेश की वैधानिकता पर राज्य सरकार सवाल नहीं उठा सकेगी और न ही कोर्ट में उसे चुनौती दे सकेगी।
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उपराज्यपाल को जम्मू कश्मीर के एडवोकेट जनरल और लॉ अफसरों की नियुक्ति का अधिकार रहेगा।
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जम्मू-कश्मीर में पहले विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता था, लेकिन अब हर पांच साल में चुनाव होंगे।
जम्मू-कश्मीर का भविष्य: केंद्र और राज्य के बीच संतुलन की आवश्यकता
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की नई सरकार के सामने मुख्य चुनौती केंद्र और राज्य के बीच संतुलन बनाए रखने की होगी। राज्य की जनता को यह देखना होगा कि उनकी उम्मीदें नई सरकार से कैसे पूरी होती हैं और क्या राज्य की बेहतरी के लिए उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री एक साथ काम कर पाते हैं।
उपराज्यपाल के पास अधिकांश शक्तियां होने के बावजूद, यह उम्मीद की जा रही है कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य की सरकार सकारात्मक कदम उठाएगी। सरकार को अपने फैसलों में जनहित को प्राथमिकता देनी होगी और राज्य के विकास के लिए मिलकर काम करना होगा।
नई सरकार की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह उपराज्यपाल के साथ तालमेल बनाकर राज्य को प्रगति के पथ पर आगे ले जा सके।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की नई सरकार और उपराज्यपाल के बीच तालमेल राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद राज्य में यह नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित हो रही है, और इसके सफल कार्यान्वयन के लिए उपराज्यपाल और सरकार के बीच सामंजस्य जरूरी होगा।
उम्मीद की जा रही है कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में यह सरकार राज्य की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेगी और राज्य को एक नई दिशा में ले जाएगी।
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