सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) देश के नए सीजेआई (Chief Justice of India) बन गए हैं। न्यायमूर्ति खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 नवबंर, 2024 को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई।
अपने छह माह के संक्षिप्त कार्यकाल में जस्टिस खन्ना को वैवाहिक दुष्कर्म मामला, चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता, सबरीमाला केस की समीक्षा, राजद्रोह की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों में निर्णय देंगे।
Justice Sanjiv Khanna का कार्यकाल 13 मई, 25 तक
सर्वोच्च अदालत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड (CJI DY Chandrachud) ने सुप्रीम कोर्ट के 51 वें सीजेआई के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी।
सीजेआई चंद्रचूड (CJI Chandrachud) 10 नवंबर को रिटायर हो गए और इसी दिन जस्टिस खन्ना ने नए सीजेआई New CJI पद की शपथ ली । New CJI देश के 51वें प्रधान न्यायाधीश होंगे। हालांकि, New CJI जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक करीब 7 महीने का ही रहेगा।
जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) के नाम की सिफारिश के साथ केंद्र सरकार को भेजे पत्र में सीजेआई चंद्रचूड ने लिखा था कि 10 नवंबर को मेरे पद छोड़ने के बाद Justice Sanjiv Khanna खन्ना सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस का पदभार ग्रहण करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल होती है। 10 नवंबर 2024 को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ 65 साल के हो गए। वे 9 नवंबर 2022 को देश के प्रधान न्यायाधीश बने थे।
Justice Sanjiv Khanna 2019 में बने सुप्रीम कोर्ट जज
जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) को जनवरी 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। वे देश के पहले जज हैं, जो किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बने।
वे 13 मई 2025 को रिटायर होंगे।जस्टिस खन्ना ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश रहते 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वह करीब 275 पीठों में शामिल रहे हैं।
पिता रह चुके हैं दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश
जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं। उनके चाचा हंसराज खन्ना उच्चतम न्यायालय के सबसे सम्मानित जजों में से थे। जस्टिस हंसराज खन्ना खन्ना ने 1976 में आपातकाल के दौरान सरकार के विरुद्ध ऐतिहासिक निर्णय दिया था। वह 5 जजों की पीठ में एकमात्र न्यायाधीश थे, जिन्होंने कहा था कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार आपातकाल में भी बाधित नहीं किया जा सकता है।
1983 में तीस हजारी में की वकालात
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कानून विभाग से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में पंजीयन कराने के बाद दिल्ली की प्रसिद्ध तीस हजारी कोर्ट में वकालात शुरू की थी।
कालांतर में वे दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। 2005 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया। इसके बाद वे करीब 14 साल दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे।
करीब 43 साल के वकील और जज के रूप में न्यायिक कार्यों के अनुभव के बाद उन्हें 18 जनवरी को 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया।
कानून के इन क्षेत्रों का अनुभव
जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) ने संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ और आपराधिक कानून सहित अलग-अलग क्षेत्रों में पेशेवर दक्षता हासिल की है।
वे आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील भी रहे। फिर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) रहे। दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त सरकारी लोक अभियोजक के तौर पर कई मामलों में बहस की। कई अहम केसों में दिल्ली हाईकोर्ट की सहायता के लिए न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) भी रहे।
इन पदों पर भी रहे Justice Sanjiv Khanna
जस्टिस खन्ना दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों में भी पदस्थ रहे। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल के प्रमुख व राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे।
केजरीवाल को जमानत दी
बतौर सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में संजीव खन्ना ने कई अहम फैसले सुनाए। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी, जिससे उन्हें लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने की अनुमति मिली।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत के मामले में जस्टिस खन्ना ने कहा कि ईडी या मनी लांड्रिंग मामलों में सुनवाई में देरी होना आरोपी की जमानत का वैध आधार हो सकता है।
ईवीएम-वीवीपैट मामले में दिया अहम फैसला
जस्टिस खन्ना के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में डाले गए वोटों का वीवीपैट (VVPAT) मशीन की पर्चियों से 100% सत्यापन के अनुरोध को
खारिज कर दिया था। अप्रैल 2024 के इस फैसले ने विपक्षी दलों को झटका व चुनाव आयोग को बड़ी राहत दी थी। जस्टिस खन्ना की पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
अनुच्छेद 370 की निरस्ती कायम रखी
जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 (article 370) को निरस्त करने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखा।
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