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kerala: केरल में ही निपाह वायरस का संक्रमण क्‍यों

वजह चमगादड़ तो नहीं, राज्‍य में इस वायरस के संक्रमण से पहली मौत, बरती जा रही सतर्कता

kerala: केरल में ही निपाह वायरस का संक्रमण क्‍यों। वजह चमगादड़ तो नहीं, राज्‍य में इस वायरस के संक्रमण से पहली मौत, बरती जा रही सतर्कता।

नई दिल्‍ली, 22 जुलाई।

केरल में ही निपाह वायरस का संक्रमण क्‍यों, वजह चमगादड़ तो नहीं। राज्‍य में निपाह वायरस के संक्रमण का खतरा फिर लौट आया है।

राज्‍य के मलप्पुरम में इस वायरस से पीड़ित 14 वर्षीय लड़के की रविवार को मौत हो गई। इस वर्ष इस वायरस से यह पहली मौत है। एनआईवी पुणे ने पांडिक्कड़ निवासी लड़के में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि की थी।

उसके संपर्क में आए 200 से अधिक लोगों की निगरानी की जा रही है। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने एडवायजरी जारी की है।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि पीड़ित लड़के को सुबह 10:50 बजे दिल का दौरा पड़ा।

सुबह 11:30 बजे उसकी मौत हो गई। केरल में पिछले वर्ष भी निपाह वायरस के संक्रमण से मौत दर्ज की गई थी। इसका प्रकोप कोझिकोड जिले में था।

वर्ष 2018, 2021 और 2023 में कोझिकोड जिले में और 2019 में एर्नाकुलम जिले में निपाह के मामले दर्ज किए गए थे।

kerala केंद्र सरकार दल भेजेगी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य की सहायता के लिए बहु-सदस्यीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल तैनात करेगा। यह दल मामले की जांच करेगा, महामारी विज्ञान संबंधों की पहचान करेगा और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

क्‍या है निपाह वायरस

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस ज़ूनोटिक वायरस है और यह जानवरों, मुख्‍य रूप से फल खाने वाले चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलता है और फिर दूषित भोजन के जरिए या संक्रमित मरीज से सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है।

इसकी वजह से संक्रमित लोगों में लक्षणहीन संक्रमण से लेकर सांस लेने में तीव्र तकलीफ और घातक एन्सेफलाइटिस तक कई बीमारियां हो सकती हैं। य

ह वायरस सूअर जैसे जानवरों में भी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और उनके संपर्क में आने पर मनुष्‍यों में भी फैलता है।

1999 में आया था पहला मामला

निपाह वायरस पहली बार 1999 में मलेशिया में सूअर पालकों के बीच फैलने के दौरान पहचाना गया था। इसके बाद 2001 में बांग्लादेश में भी दस्‍तक दी और तब से उस देश में लगभग हर वर्ष इसका प्रकोप होता है।

पूर्वी भारत में भी इसके प्रकोप की पहचान की गई है। मलेशिया में पहली बार पहचाने गए प्रकोप, जिससे सिंगापुर भी प्रभावित हुआ था, के दौरान बीमार सूअरों या उनके दूषित ऊतकों के सीधे संपर्क में आने के कारण इंसानों में फैला था।

बांग्लादेश और भारत में बाद के प्रकोपों ​​​​में यह वायरस चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित फल या फल उत्पादों (जैसे कच्चे खजूर का रस, जिसे ताड़ी भी कहा जाता है) का सेवन करने से इंसानों में फैला।

विशेषज्ञों के अनुसार, फल खाने वाले चमगादड़ ताड़ी की ओर अधिक आकर्षित होते हैं और फिर वह ताड़ी इंसान पी ले तो उससे निपाह वायरस का संक्रमण होता है। केरल में फल खाने वाले चमगादड़ बहुतायत पाए जाते हैं।

ये होते हैं लक्षण

निपाह वायरस के संक्रमण के शुरूआती संकेत और लक्षण खास नहीं होते हैं।

इसलिए इसके संक्रमण का समय पर पता नहीं चल पाता है। समय पर इसका सटीक पता लगाने में दिक्‍कत होती है। संक्रमण के लक्षणों का पता 4 से 14 दिनों के भीतर चलता है।

-मानव संक्रमण लक्षणहीन संक्रमण से लेकर तीव्र श्वसन संक्रमण (हल्का, गंभीर) और घातक एन्सेफलाइटिस तक होता है।

-शुरू में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण विकसित होते हैं।

-इसके बाद चक्कर आना, उनींदापन और तीव्र एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्‍क की बीमारी) का संकेत देते हैं।

-सांस लेने में तीव्र तकलीफ, असामान्य निमोनिया और गंभीर श्वसन समस्या होती है। 24 से 48 घंटों के भीतर मरीज के कोमा में चले जाने का खतरा भी होता है।

मृत्‍यु दर 75 प्रतिशत तक

संक्रमित लोगों में से 40% से 75% तक के मौत हो जाने की आशंका रहती है। महामारी विज्ञान निगरानी और वायरस के प्रकोप से लड़ने की स्थानीय क्षमताओं के आधार पर यह दर प्रकोप के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

तो बचाव कैसे कर सकते हैं

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार, अभी तक इसका कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। टीका भी उपलब्‍ध नहीं है। डॉक्‍टर केवल लक्षणों का इलाज करते हैं।

अत: लक्षण उभरते ही चिकित्‍सकीय सलाह लेने में देरी नहीं की जानी चाहिए। दूषित फल इत्‍यादि खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए।

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