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motivation : 5 हीरो, जिन्होंने कमजोरी को ताकत बनाया। पढ़िए ऐसी 5 महान शख्सियतों की कहानियां, जो किसी न किसी शारीरिक कमी के शिकार थे।
दुनिया में ऐसे कई महान शख्स, हस्तियां हैं जिन्होंने अपनी कमजोरियों को ताकत बनाया और जहां जीत लिया। उनमें कोई न कोई शारीरिक कमी या बीमारी थी या है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने बुलंद हौसलों से महान उपलब्धियां हासिल कीं।
शारीरिक कमियों के बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और निरंतर अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले और एक दिन अपना जहां पा लिया।
ऐसी ही प्रेरणादायी कहानियां यहां दी जा रही हैं। इनसे एक ही बात सीखने को मिलती है कि अगर कठिन मेहनत की जाए तो किसी भी समस्या से पार पाया जा सकता है।
अपनी कमजोरी को ही ताकत बना लें तो फिर जिंदगी के कमजोर होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।
1. स्टीफन हॉकिंग : मोटर न्यूरॉन नाम की लाइलाज बीमारी
शारीरिक कमी : 21 साल की उम्र में मोटर न्यूरॉन नाम की लाइलाज बीमारी हो गई थी। डॉक्टरों ने कह दिया था सिर्फ दो साल बचे हैं, लेकिन हॉकिंग ने उन्हें झुठला दिया। 76 साल जीए।
दिमाग को छोड़ शरीर के अधिकांश अंगों ने काम नहीं किया। उन्हें पूरी तरह व्हीलचेयर पर रहना पड़ा।
उपलब्धि :
ब्लैक होल्स (Black Holes) और बिग बैंग थ्योरी (Big Bang Theory) से दुनिया को अवगत कराया। ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम (A Brief History of Time) , द ग्रांड डिजाइन (The Grand Design) , यूनिवर्स इन नटशेल (Universe in Nutshell) , माई ब्रीफ हिस्ट्री (My Brief History of Time) और द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग (The Theory of everything) जैसी किताबें लिखीं।
ध्येय वाक्य :
काम से हमें जीवन का उद्देश्य मिलता है। इसके बिना लाइफ कुछ नहीं है।
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2. फ्रेंकलीन डी. रूजवेल्ट : अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति
शारीरिक कमी :
पोलियोग्रस्त। जिंदगी का बड़ा हिस्सा व्हीलचेयर पर गुजारा। 1921 में 39 साल की उम्र में कनाडा में छुटि्टयां बिताने के दौरान पोलियोग्रस्त होने का पता चला।
उपलब्धि :
लगा था कि अपनी बीमारी के कारण राजनीतिक कॅरिअर खत्म हो जाएगा लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और बुलंद हौसलों के बल पर 4 मार्च 1993 को अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति बने।
वह अमेरिका के एकमात्र व्यक्ति हैं जो चार बार राष्ट्रपति चुने गए और मृत्यु पर्यंत 12 अप्रैल 1945 तक इस पद पर रहे।
ध्येय वाक्य :
इंसान की जिंदगी उसकी किस्मत पर निर्भर नहीं है बल्कि वह अपने दिमाग का इस्तेमाल कर इसे समृद्ध बना सकता है।
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3. जॉन मिल्टन : अंग्रेजी के मशहूर कवि
जन्म : 09 दिसंबर 1608, मृत्यु : 08 नवंबर 1674
जन्म स्थान : लंदन
शारीरिक कमी :
अंधत्व के शिकार हो गए थे। 46 साल की उम्र में आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई थी।
उपलब्धि :
1654 में पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए, लेकिन उनकी कल्पनाशीलता और विजन और मजबूत होता चला गया। इसके 13 साल बाद 1667 में अंग्रेजी में महानतम रचनाओं में से एक माने जाने वाली पैराडाइज लॉस्ट लिखी।
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4. अरुणिमा सिन्हा : पर्वतारोही व पूर्व वॉलीबाल खिलाड़ी
शारीरिक कमी :
12 अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते वक्त पदमावती एक्सप्रेस से लुटेरों ने नीचे फेंक दिया था, गंभीर घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनके एक पैर को बचाया नहीं जा सका।
उपलब्धि :
उन्हें नकली पैर का सहारा लेना पड़ा। लेकिन उनके हौसले असली थे। एक पैर नकली होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई करने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं।
ध्येय वाक्य :
कटा पांव मेरी कमजोरी था, लेकिन मैंने इसे अपनी ताकत बना लिया।
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5. मार्ला रुनयान : एथलीट
जन्म : 04 जनवरी 1969
जन्म स्थान : कैलिफोर्निया, अमेरिका
शारीरिक कमी :
नौ साल की उम्र में स्टारगट डिजीज के कारण दृष्टिहीन हो गईं।
उपलब्धि :
5000 मीटर की दौड़ में तीन बार राष्ट्रीय चैंपियन रहीं। 1992 के ग्रीष्म पैरालिंपिक्स में चार स्वर्ण पदक जीते। वर्ष 2000 में सिडनी में ओलिंपिक खेलों में स्पर्धा के लिए पहली कानूनी रूप से दृष्टिहीन पैरालिंपियन बनीं। बाद में आत्मकथा नो फिनिश लाइन : माय लाइफ एज आई सी लिखी।
ध्येय वाक्य :
अगर कठिन मेहनत की जाए तो किसी भी समस्या से पार पाया जा सकता है। किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है।
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