No Detention Policy: केंद्र सरकार ने 5वीं और 8वीं कक्षाओं के ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के अनुसार, अब इन कक्षाओं में अनुत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को अगली कक्षा में स्वचालित रूप से प्रमोट नहीं किया जाएगा।
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है, जिसका मकसद छात्रों के लर्निंग आउटकम को बेहतर बनाना और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
No Detention Policy: अब क्या है नया नियम?
नई नीति के तहत, 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए आवश्यक मानकों को पूरा करना होगा। यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा में अनुत्तीर्ण होता है, तो उसे दो माह के भीतर पुनः परीक्षा में बैठने का अवसर मिलेगा।
अगर वह दूसरी परीक्षा में भी सफल नहीं होता, तो उसे उसी कक्षा में दोबारा पढ़ाई करनी होगी। हालांकि, किसी भी परिस्थिति में कक्षा 8वीं तक किसी भी विद्यार्थी को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 23 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर दी है।
मुख्य प्रावधान:
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पुनः परीक्षा का अवसर:
अनुत्तीर्ण छात्रों को दो माह में सुधार के लिए परीक्षा में दोबारा बैठने का मौका मिलेगा।
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विशेष ध्यान:
शिक्षकों द्वारा ऐसे विद्यार्थियों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाएगा और उनकी पढ़ाई को सुधारने के लिए अभिभावकों की भी सहायता ली जाएगी।
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स्कूल से निष्कासन पर रोक:
कक्षा 8वीं तक किसी भी छात्र को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जा सकता।
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) क्या थी?
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) 2009 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत लागू की गई थी। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि 5वीं और 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) के कारण किसी भी छात्र को अनुत्तीर्ण नहीं किया जाता था, ताकि पढ़ाई का मानसिक दबाव कम हो।
हालांकि, कई विशेषज्ञों और शिक्षकों का मानना था कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) छात्रों के लर्निंग आउटकम को प्रभावित कर रही थी। विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी को गंभीरता से नहीं लेते थे, और शिक्षकों पर भी छात्रों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने का दबाव कम था।
बदलाव क्यों जरूरी था?
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) के कारण बच्चों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता की कमी देखी जा रही थी। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) के चलते शिक्षा का स्तर गिरने लगा, और कई राज्यों ने इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उद्देश्य छात्रों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करना है। मंत्रालय ने इस बदलाव को लागू करने के पीछे मुख्य कारण बताया कि इससे छात्रों का शैक्षिक प्रदर्शन सुधरेगा और शिक्षकों के बीच जवाबदेही भी बढ़ेगी।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रभाव
केंद्र सरकार का यह निर्णय केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल जैसे 3,000 से अधिक केंद्र सरकार संचालित स्कूलों पर लागू होगा। हालांकि, चूंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य सरकारें इस निर्णय को अपने स्तर पर लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं।
गौरतलब है कि 2019 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में संशोधन के बाद, देश के 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया था।
बदलाव से संभावित फायदे
- लर्निंग आउटकम में सुधार: अब छात्रों को उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम मानकों को पूरा करना होगा, जिससे पढ़ाई के प्रति उनकी गंभीरता बढ़ेगी।
- जवाबदेही बढ़ेगी: शिक्षकों और अभिभावकों के बीच समन्वय बेहतर होगा, और छात्र की प्रगति पर नजर रखी जाएगी।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: नीति में बदलाव से बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका
नई नीति के तहत, शिक्षकों को अनुत्तीर्ण छात्रों पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए उन्हें अभिभावकों के साथ नियमित संवाद करना होगा। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी बच्चों को आवश्यक शैक्षणिक सहायता और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
निष्कर्ष
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) को समाप्त करना शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। यह बदलाव छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने और उनके शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार लाने की दिशा में उठाया गया है। इस नई नीति से विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच सहयोग बढ़ेगा और शिक्षा का स्तर सुधरेगा। हालांकि, इसे प्रभावी बनाने के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा।
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