
सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क ₹2 प्रति लीटर बढ़ा दिया है, जबकि घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹50 बढ़ा (PriceRise) दी गई है।
PriceRise: आम जनता पर असर
भारत में तेल और गैस की कीमतों में समय-समय पर बदलाव आम बात है, लेकिन अप्रैल 2025 की शुरुआत ने उपभोक्ताओं के लिए एक साथ दो बड़ी घोषणाएं लेकर आईं। एक ओर सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि की, वहीं दूसरी ओर घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) की कीमत में भी इजाफा (PriceRise) किया गया है।
⛽ पेट्रोल और डीजल पर ₹2 प्रति लीटर की उत्पाद शुल्क वृद्धि
सरकार ने 8 अप्रैल 2025 से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क ₹2 प्रति लीटर बढ़ाने का आदेश जारी किया है।
- पेट्रोल पर कुल उत्पाद शुल्क अब ₹13 प्रति लीटर
- डीजल पर कुल शुल्क ₹10 प्रति लीटर हो जाएगा
हालांकि खुदरा कीमतें स्थिर (No PriceRise) रहेंगी क्योंकि यह वृद्धि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में आई गिरावट के साथ समायोजित की जाएगी। ब्रेंट क्रूड की कीमत गिरकर $63.15 प्रति बैरल हो गई है, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है।
तेल मंत्रालय का स्पष्टीकरण:
“पीएसयू ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने सूचित किया है कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।”
भारत अपनी कुल तेल आवश्यकताओं का 85% आयात करता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर सीधे घरेलू कीमतों पर पड़ता है।
🔥 रसोई गैस (LPG) की कीमतों में ₹50 की बढ़ोतरी
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की कि घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹50 प्रति सिलेंडर बढ़ाई (PriceRise) गई है।
उपयोगकर्ता वर्ग | पुरानी कीमत (₹) | नई कीमत (₹) |
सामान्य उपभोक्ता | ₹803 | ₹853 |
उज्ज्वला योजना लाभार्थी | ₹503 | ₹553 |
पुरी का बयान:
“यह वृद्धि (PriceRise) उज्ज्वला और गैर-उज्ज्वला दोनों पर लागू होगी, और हर 15 दिन या एक महीने में इसकी समीक्षा की जाएगी।”
यह भी ध्यान देने योग्य है कि अगस्त 2024 से अब तक घरेलू एलपीजी की कीमतें स्थिर ( No PriceRise) थीं।
🏪 वाणिज्यिक एलपीजी में राहत
1 अप्रैल को सरकार ने 19 किलोग्राम वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत में ₹41 की कटौती की घोषणा की।
अब दिल्ली में इसकी कीमत ₹1,762 प्रति सिलेंडर हो गई है। यह राहत खासतौर पर होटल, रेस्तरां और छोटे व्यवसायों को राहत दे सकती है, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं को नहीं।
📊 अतीत में ऐसे उठाए गए कदम
मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों में यह देखा गया है कि जब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें गिरीं, सरकार ने उत्पाद शुल्क बढ़ाकर अतिरिक्त राजस्व प्राप्त किया।
2014 से 2016 के बीच 15 महीनों में ही सरकार ने
- पेट्रोल पर ₹11.77
- डीजल पर ₹13.47 प्रति लीटर का शुल्क बढ़ाया था, जिससे राजस्व ₹99,000 करोड़ से बढ़कर ₹2.42 लाख करोड़ तक पहुंच गया।
राहत या बोझ?
जहां एक ओर सरकार ने खुदरा पेट्रोल-डीजल की कीमतों को स्थिर रखकर जनता को राहत देने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर रसोई गैस की कीमत में बढ़ोतरी कर घरेलू बजट को झटका दे दे दिया है
🛢️ मोदी सरकार के तहत पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में बदलाव (2014–2025)
वर्ष / अवधि | परिवर्तन का प्रकार | परिवर्तन (₹ प्रति लीटर) | विवरण / प्रभाव |
नवंबर 2014 – जनवरी 2016 | उत्पाद शुल्क वृद्धि | पेट्रोल: ₹11.77 डीजल: ₹13.47 |
अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट का लाभ समाप्त करने हेतु 9 बार शुल्क वृद्धि |
2014-15 में राजस्व संग्रह | – | ₹99,000 करोड़ | – |
2016-17 में राजस्व संग्रह | – | ₹2,42,000 करोड़ | उत्पाद शुल्क वृद्धि के कारण संग्रह दोगुना से अधिक |
अक्टूबर 2017 | उत्पाद शुल्क कटौती | ₹2 | जनता को राहत हेतु पहला कटौती |
अक्टूबर 2018 | उत्पाद शुल्क कटौती | ₹1.50 | लगातार दूसरा वर्ष राहत |
जुलाई 2019 | उत्पाद शुल्क वृद्धि | ₹2 | पुनः शुल्क में बढ़ोतरी |
मार्च 2020 | उत्पाद शुल्क वृद्धि | ₹3 | वैश्विक गिरावट के समय एक और वृद्धि |
मार्च 2020 – मई 2020 | उत्पाद शुल्क वृद्धि | पेट्रोल: ₹13 डीजल: ₹16 |
सिर्फ दो महीनों में ऐतिहासिक वृद्धि |
2021–2022 (बाद के वर्ष) | उत्पाद शुल्क वापसी / कटौती | ₹13 (पेट्रोल) ₹16 (डीजल) |
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के कारण शुल्क वापसी, जिससे कीमतें नीचे आईं |
मार्च 2024 (चुनाव से पहले) | उत्पाद शुल्क कटौती | ₹2 (दोनों ईंधन) | आम चुनावों से पहले जनता को राहत |
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