प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2024 में भारत के विकास का दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए एक महत्वपूर्ण बात कही कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए Risk Taking Culture (रिस्क टेकिंग कल्चर) को बढ़ावा देना बेहद आवश्यक है। उन्होंने भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य को जोड़ते हुए बताया कि कैसे देशवासियों का आत्मविश्वास और सरकार की नीतियां इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
Risk Taking और भारत का इतिहास
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के इतिहास में एक ऐसा समय था, जब देश वैश्विक वाणिज्य और संस्कृति का केंद्र था। भारतीय व्यापारियों ने समुद्र पार व्यापार में जोखिम उठाकर भारतीय उत्पादों और सेवाओं को पूरी दुनिया में पहुंचाया। यह Risk Taking Culture (रिस्क टेकिंग कल्चर) ही था, जिसने भारत को समृद्धि के शिखर तक पहुंचाया। लेकिन आजादी के बाद की सरकारों ने इस मानसिकता को प्रोत्साहन देने के बजाय नागरिकों को सीमित सोच और संसाधनों के बीच बांध दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत फिर से Risk Taking Culture (रिस्क टेकिंग कल्चर) को अपनाकर दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है।
Risk Taking Culture का भारत में पुनर्जागरण
- स्टार्टअप क्रांति: साहसिक निर्णय का उदाहरण
जहां 10 साल पहले स्टार्टअप शुरू करना जोखिम भरा माना जाता था, आज भारत में 1.25 लाख से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप्स हैं। युवा आज जोखिम उठाकर नए व्यवसायों और तकनीकों को विकसित कर रहे हैं। यह बदलाव आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा है।
- खेलों में जोखिम: छोटे शहरों से बड़े सपने
एक समय था, जब खेलों को करियर के रूप में अपनाना जोखिम भरा माना जाता था। आज छोटे शहरों के युवा अपनी मेहनत और साहस से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
- महिलाओं का योगदान: लखपति दीदी का उदाहरण
ग्रामीण भारत में स्व सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अपनी उद्यमशीलता से न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं बल्कि परिवार की आय भी बढ़ा रही हैं। जैसे एक महिला ने ट्रैक्टर खरीदने का साहसिक कदम उठाया और पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति को बदल दिया।
विकसित भारत का दृष्टिकोण: निवेश और बचत का संगम
- बड़े निवेश से बड़े परिणाम
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में भारत का यूनियन बजट ₹16 लाख करोड़ था, जो अब ₹48 लाख करोड़ हो गया है। इसी प्रकार, कैपिटल एक्सपेंडिचर भी ₹2.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹11 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह निवेश नए स्कूल, अस्पताल, सड़क और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है, जिससे रोजगार और विकास के नए अवसर बन रहे हैं।
- बचत योजनाऍं: गरीबों के लिए बड़ा सहारा
सरकार ने न केवल बड़े पैमाने पर निवेश किया है, बल्कि आम जनता के लिए बचत के साधन भी सुनिश्चित किए हैं।
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): साढ़े ₹3 लाख करोड़ की बचत।
- आयुष्मान भारत योजना: गरीबों को मुफ्त इलाज से ₹1.1 लाख करोड़ की बचत।
- जन औषधि केंद्र: सस्ती दवाइयों से ₹30 हजार करोड़ की बचत।
- एलईडी बल्ब योजना: बिजली बिल में ₹20 हजार करोड़ की बचत।
- स्वच्छ भारत मिशन: परिवारों को बीमारियों से बचाकर सालाना ₹50 हजार की बचत।
Risk Taking और सामाजिक विकास
- आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान
सरकार की नीतियां नागरिकों को आत्मनिर्भर बना रही हैं। जैसे, हर घर में शौचालय निर्माण ने न केवल लोगों की गरिमा बढ़ाई, बल्कि रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी गति दी।
- डिजिटल इंडिया: समानता का प्रतीक
UPI और RuPay कार्ड जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने गरीब और अमीर के बीच की दूरी को कम कर दिया है। आज एक रेहड़ी-पटरी वाला व्यक्ति भी उसी तकनीक का उपयोग कर रहा है, जो एक बड़े कारोबारी के लिए उपलब्ध है।
Risk Taking Culture को बढ़ावा देने के लिए कदम
- शिक्षा और प्रशिक्षण
देश में शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए रिस्क लेने और नवाचार को बढ़ावा देने वाले कोर्सेस और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स आवश्यक हैं।
- विश्व स्तरीय उत्पाद और निर्माण
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि भारत को हर क्षेत्र में “वर्ल्ड क्लास” मानक अपनाना चाहिए। चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर हो, शिक्षा हो, या उत्पाद निर्माण, हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
- सरकारी सहयोग और सुरक्षा
नागरिकों को रिस्क लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को निवेशकों और उद्यमियों के लिए एक सुरक्षित और प्रोत्साहनकारी माहौल प्रदान करना होगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि Risk Taking (रिस्क टेकिंग) विकसित भारत की नींव है। यह न केवल आर्थिक विकास को गति देता है, बल्कि समाज में आत्मविश्वास और सम्मान का भाव भी जागृत करता है।
“India’s Century” का सपना तभी साकार होगा, जब प्रत्येक भारतीय साहसिक कदम उठाने को तैयार होगा। आज सरकार की नीतियां और जनता का विश्वास भारत को उस दिशा में ले जा रहा है। यह परिवर्तन केवल शुरुआत है, और भविष्य में भारत न केवल एक आर्थिक शक्ति बनेगा, बल्कि आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का पर्याय भी।
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