सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum) भारत में दूरसंचार क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने जा रहा है, जिससे लगभग 30 करोड़ लोगों तक इंटरनेट सेवाएं पहुंचाई जाएंगी, जो अब तक इससे वंचित थे। केंद्र सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum) सेवाओं को खोल रही है, जिससे जियो जैसी बड़ी कंपनियों के बीच स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए होड़ मच गई है। वहीं, एलन मस्क की स्टारलिंक भी भारतीय बाजार में उतर रही है, जो सस्ती और तेज सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करेगी। बिना किसी जमीनी ढांचे की जरूरत के, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम दूरस्थ और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में निर्बाध संचार सेवाएं सुनिश्चित करेगा।
देश में एक नई दूरसंचार क्रांति आ रही है। अब बारी है सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum के जरिए देश के करीब उन करीब 30 करोड़ लोगों तक इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने की, जो अब तक इससे वंचित हैं।
केंद्र सरकार अब सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum सेवाओं को खोल रही है। इससे देश की जियो समेत नामचीन कंपनियों में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (satcom) लाइसेंस पाने की होड़ मच गई है।
इस क्षेत्र में दुनिया के महारथी एलन मस्क (Elon Musk) और उनकी कंपनी स्टारलिंक (Starlink) पहले से आगे है। वे भी भारत के इस बड़े बाजार में उतरने आ रहे हैं। इससे जहां जनता को अच्छी व सस्ती सेवाएं मिलेंगी, वहीं देश की टेलीकॉम कंपनियों में भी नई प्रतिस्पर्धा होगी।
Satellite spectrum सेवाएं 36 देशों में स्टारलिंक के जरिए
हाल ही में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने स्पष्ट कर दिया है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum की नीलामी (Satellite spectrum auction) नहीं होगी और प्रशासनिक आदेश (administrative order) के जरिए इसके स्पेक्ट्रम लाइसेंस जारी किया जाएंगे।
इसका दुनिया के 36 देशों में स्टारलिंक के जरिए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सेवाएं दे रहे एलन मस्क ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि दुनिया के अधिकतर देशों में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासनिक आदेश से ही होता है, नीलामी से नहीं।
हालांकि, मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने उपग्रह दूरसंचार के लिए वायु तरंगों के आवंटन को नीलामी से करने का आग्रह किया था, लेकिन सिंधिया ने इस आग्रह को ठुकरा दिया है।
स्टारलिंक उत्साहित
सरकार के इस फैसले को एलन मस्क की स्टारलिंक समेत कुछ कंपनियों की जीत मानी जा रही है। दरअसल, उपग्रह दूरसंचार का स्वरूप ही कुछ ऐसा है कि इसकी नीलामी सफल नहीं है। उपग्रह चूंकि पूरी पृथ्वी के दूरसंचार तंत्र को कवर करते हैं, इसलिए इसके नियमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था है।
यह देश की भौगोलिक सीमाओं (terrestrial spectrum) के अंदर संचालित होने वाली मौजूदा मोबाइल संचार प्रणाली (mobile communication) से अलग है।
टेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum का संचालन यूएन (UN) के मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा किया जाता है। चूंकि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम (Satellite spectrum अंतरराष्ट्रीय संचार व्यवस्था के अधीन है, इसलिए इसका आवंटन नीलामी के जरिए कुछेक देशों में ही किया गया है।
भारत के दूरसंचार कानून 2023 के तहत भी स्पष्ट किया गया है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासकीय प्रक्रिया के जरिए होगा, न कि नीलामी से।
ट्राई बना रहा दिशा निर्देश
सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Trai) को दिशा निर्देश तैयार करने को कहा है। इसके बाद इसके आवंटन पर विचार होगा।
चूंकि इस क्षेत्र में दुनिया की ताकतवर कंपनी मस्क की स्टारलिंक भी निश्चित तौर पर मैदान में होगी, इसलिए घरेलू निजी दूरसंचार कंपनियों जैसे जियो, एयरटेल आदि के लिए इसे हासिल करना थोड़ा मुश्किल होगा।
जियो की आपत्ति यही है कि प्रशासकीय प्रक्रिया से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी से सभी कंपनियों को समान अवसर नहीं मिलेगा।
न वायर न फाइबर न डिजिटल लाइन
दरअसल, सैटकॉम satcom यानी उपग्रह आधारित दूरसंचार सेवाओं के लिए किसी जमीनी नेटवर्क या ढांचे, डाटा ट्रांसमिट करने के लिए वायर या कैबल, फाइबर या डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन (DSL) की जरूरत नहीं पड़ती है। इसका कवरेज और सेवाएं व्यापक, सुलभ और बगैर किसी बाधा के सतत मिलती हैं।
यह जमीन से संचालित होने वाली ब्रॉडबैंड सेवाओं से ज्यादा तेज होती है और इसके लिए कोई बड़ा ढांचा टावर आदि का ढांचा खड़ा करने की भी जरूरत नहीं होती है।
सैटेलाइट फोन के जरिए सुदूर इलाकों में जहां, अब तक मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, वहां भी संचार व इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
इससे ऐसे इलाकों जहां प्राकृतिक आपदाओं का खतरा होता है, वहां भी निर्बाध रूप से संचार सेवाएं मिलेंगी। ये सेवाएं मौसमी प्रभावों यानी बादल, बारिश, तूफान, प्रचंड गर्मी जैसी प्रतिकूल स्थितियों में भी निर्बाध मिलेंगी।
2028 तक 20 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार
भारत का मौजूदा उपग्रह आधारित दूरसंचार बाजार करीब 2.3 अरब डॉलर का है। देश की अग्रणी कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी KPMG India के अनुमान के मुताबिक 2028 तक यह करीब 10 गुना बढ़कर 20 अरब डॉलर से ज्यादा का हो जाएगा।
वैश्विक स्तर पर देखें तो दूरसंचार क्षेत्र में निवेश के मामले में भारत चौथे नंबर पर है। देश के अब भी 30 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो ब्रॉडबैंड यानी इंटरनेट सेवाओं से वंचित हैं। सैटेलाइट फोन के जरिए इस आबादी तक भी विश्व स्तर की संचार सेवाएं पहुंचाई जा सकेंगी।
See also:
https://youtu.be/vjadv5qnc5k?si=6JnlOxt0JLxqkp3Y
https://www.thedailynewspost.com/neuralink-blindsight-device/